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    नोटबंदी: टिहरी जिले में जमा हुए सर्वाधिक 33 करोड़ रुपये

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sat, 26 Nov 2016 03:00 AM (IST)

    नोटबंदी के बाद टिहरी जिले में सर्वाधिक 33 करोड़, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में 28-28 करोड़ तो देहरादून में 25 करोड़ की राशि जमा हुई।

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: कांग्रेस के कब्जे वाले प्रदेश के कोऑपरेटिव बैंकों में नोटबंदी के पहले हफ्ते में ताबड़तोड़ तरीके से पुरानी करेंसी जमा होने के बाद अब इन बैंकों से ट्रांजेक्शन बंद होने से खलबली मची हुई है। 247 बैंक शाखाओं में 11 लाख खाताधारकों में अधिकतर किसान और किसानों की सहकारी समितियों के खाते हैं। बैंकों में ट्रांजेक्शन बंद होने किसानों को खाद और बीज की खरीद में पेश आने वाली परेशानी को कांग्रेस मुद्दा बनाने की तैयारी में है।

    उधर, हफ्तेभर तक पुरानी करेंसी जमा कराने के फेर में सबसे अव्वल टिहरी जिला रहा। टिहरी जिले में सर्वाधिक 33 करोड़, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में 28-28 करोड़ तो देहरादून में 25 करोड़ की राशि जमा हुई। डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंकों और स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में हुई जमा धनराशि को भी शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा करीब 235 करोड़ तक पहुंच रहा है।

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    प्रदेश में कोऑपरेटिव बैंक समेत निचले स्तर से उच्च स्तर तक तमाम सहकारी समितियों व संस्थाओं पर कांग्रेस का कब्जा है। अधिकतर ग्रामीण और आंशिक शहरी क्षेत्रों में सक्रिय समितियों और सहकारी संस्थाओं का तमाम वित्तीय लेन-देन कोऑपरेटिव बैंकों के जरिए हो रहा है। वर्तमान में इन बैंकों में करीब 11 लाख खाताधारक हैं। बीती आठ नवंबर को एक हजार और पांच सौ रुपये के नोट बंद होने के बाद से प्रदेश में कोऑपरेटिव बैंकों की कुल 247 शाखाओं में 235 करोड़ की पुरानी करेंसी जमा हुई।

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    हालांकि, इसमें से 130 करोड़ की धनराशि आठ नवंबर से पहले जमा बताई जा रही है। पुरानी करेंसी जमा होने के मामले में टिहरी, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, देहरादून और हल्द्वानी सबसे आगे रहे।
    हल्द्वानी में करीब 21 करोड़ जमा कराए गए। अन्य जिलों में चमोली में 16 करोड़, उत्तरकाशी में 13 करोड़, पिथौरागढ़ में 10.84 करोड़, अल्मोड़ा में 7.26 करोड़ व पौड़ी में सात करोड़ जमा कराए गए। इनमें डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंकों में 35 करोड़ से अधिक और स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में सात करोड़ से अधिक करेंसी जमा हुई है।

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    पुरानी करेंसी बड़ी संख्या में जमा होने से ये बैंक आरबीआइ की निगरानी की जद में आ चुके हैं। रिजर्व बैंक इन बैंकों में ट्रांजेक्शन बंद कर चुका है। इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। बैंकों के अधिकतर किसान बताए जा रहे हैं। किसान खाद और बीज खरीद के लिए इन बैंकों से ट्रांजेक्शन नहीं कर सकेंगे। सूत्रों के मुताबिक किसान अन्य किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता होने की स्थिति में वहां से आरटीजीएस के जरिए पैसा कोऑपरेटिव बैंक में भेज सकता है। लेकिन, यह व्यवस्था किसानों को शायद ही रास आए। इसे भांपकर कांग्रेस नोटबंदी से किसानों को होने वाली परेशानी को मुद्दा बनाने की तैयारी में है।

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    हालांकि, पार्टी के कब्जे वाले कोऑपरेटिव बैंकों में पुरानी करेंसी जमा कराने में दिखाई गई दरियादिली को सियासी नजरिए से भी देखा जा रहा है। उधर, संपर्क करने पर डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक देहरादून के उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह ने कहा कि कोऑपरेटिव बैंक ने आरबीआइ के निर्देशों के मुताबिक ही काम किया है। अब कोऑपरेटिव बैंक की शाखाएं सीबीएस हो चुकी हैं। खातों में अधिक धनराशि जमा होने की जानकारी आयकर विभाग को भी दी जाती है। उन्होंने कहा कि जिला सहकारी बैंकों में कोई गलत कार्य नहीं हुआ है। इसकी जांच कराई जा सकती है।

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