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    शादी में बोले पंडितजी, नोट नहीं है तो चेक से दे दें दक्षिणा

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sat, 19 Nov 2016 06:05 AM (IST)

    एक ओर शादियों का सीजन तो दूसरी तरफ बड़े नोटों की बंदी एवं छोटे नोटों की किल्लत। इससे में यजमानों को संकट से उबारने के लिए पंडित कह रहे हैं कि नोट नहीं है तो चेक से दक्षिणा दे दें।

    रुड़की, [रीना डंडरियाल]: नोटबंदी के समय में शहर के ज्योतिषाचार्य यजमानों को संकट से उबार रहे हैं। शादी-ब्याह वाले घरों की परेशानी को देखते हुए कई पंडित दक्षिणा चेक के रूप में ले रहे हैं तो वहीं कई अमान्य हो चुके पांच सौ और एक हजार के नोट भी स्वीकार कर रहे हैं। इतना ही नहीं कई तो यजमानों को यह कहकर राहत दे रहे हैं कि यदि उनके पास बजट का अभाव है तो वह बाद में दक्षिणा दे सकते हैं।

    एक ओर शादियों का सीजन तो दूसरी तरफ बड़े नोटों की बंदी एवं छोटे नोटों की किल्लत। इससे आम जनता को घर का खर्चा चलाने में कई पापड़ बेलने पड़ रहे हैं, वहीं शादी वाले घरों के सदस्यों के चेहरे पर खुशी की बजाय, मायूसी देखने को मिल रही है। आलम यह है कि शादी के खर्च में जितनी अधिक से अधिक कटौती की जा सकती है, वह की जा रही है। वहीं वर-वधु के माता-पिता के लिए पंडित जी की दक्षिणा देने तक के लिए रुपये नहीं हैं।

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    माता-पिता की परेशानी को कम करने के लिए शहर के कई ज्योतिषाचार्य आगे कदम बढ़ा रहे हैं। रामनगर स्थित राम मंदिर के आचार्य पं. कैलाश चंद सेमवाल के अनुसार इन दिनों जो भी शादी वह करा रहे हैं, वहां वर-वधु के अभिभावकों की समस्याओं को देखते हुए चेक ही ले रहे हैं। वहीं, रुपये होने के बाद ही उन्हें दक्षिणा देने की बात कही जा रही है क्योंकि नोटबंदी के कारण उनके लिए पर्याप्त रुपये का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है। पं. रमेश सेमवाल और पं. रजनीश शास्त्री के अनुसार माता-पिता की चिंता को कुछ कम करने के लिए यदि वह दक्षिणा के रूप में पांच सौ और एक हजार के नोट भी दे रहे हैं, तो उन्हें स्वीकार किया जा रहा है।

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    अपने स्तर से कर रहे जरुरतमंदों का सहयोग

    साकेत स्थित दुर्गा चौक मंदिर के मुख्य पुजारी पं. जगदीश प्रसाद पैन्यूली भी अपने स्तर से जरुरतमंदों की मदद करने में जुटे हैं। उनके अनुसार कुछ विद्यार्थी उनके पास समस्या लेकर आए कि बड़े नोट बंदी होने की वजह से उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। उनकी परेशानी को देखते हुए उन्होंने अपने स्तर से उन्हें खुले रुपये दिए। वहीं, कई लोगों की वास्तविक समस्या को देखते हुए उन्हें उधार भी दे रहे हैं।

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