अब भगवान को भी देना होगा नोटों का हिसाब-किताब
शहर के तमाम प्रसिद्ध मंदिरों में हर रोज चढ़ावे के तौर पर काफी रकम दान पात्रों में जमा होती है। इसमें 500-1000 के नोट ज्यादा हैं।
हल्द्वानी, [जेएनएन]: बड़े नोटों के प्रतिबंध के बाद धार्मिक स्थलों में भी खलबली मची हुई है। यहां भगवान के घर में चढ़ावे के तौर पर आए 500-1000 के नोटों से भरे दानपात्र भी खुलने शुरू हो गए हैं। ऐसे में शहर के प्रसिद्ध मंदिर के ट्रस्टियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है।
शहर के तमाम प्रसिद्ध मंदिरों में हर रोज चढ़ावे के तौर पर काफी रकम दान पात्रों में जमा होती है। इसमें 500-1000 के नोटों के साथ रसीदों के माध्यम से काफी धनराशि जमा होती है। इधर, सरकार के पांच सौ और हजार के पुराने नोटों को प्रतिबंधित किए जाने के बाद समय से पहले ही दान पात्र खुलने शुरू हो गए हैं।
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ट्रस्टियों ने दान पात्र में चढ़ावे के तौर पर जमा धनराशि हिसाब-किताब शुरू कर दिया है, ताकि उन्हें बैकों के पास जमा कराया जा सके। ऐसे में चढ़ावे से मंदिर के चलने वाले तमाम खर्च भी फिलहाल रुके होने से धार्मिक समितियों के सामने दिक्कते बनी हुई है।
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मंदिरों के दानपात्रों में भी हो रही कटौती
500-1000 के पुराने नोट बंद होने के बाद मंदिरों के दान में भी कटौती हो रही है। दान पात्रों में चढ़ावे के तौर पर बड़ी तादाद में 50 और 100 के नोट ही चढ़ाए जाते है, जबकि बड़े नोट बंद होने के बाद लोग छोटे नोटों को देने से बच रहे है।
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ऐसे में शहर के तमाम छोटे-बड़े सभी मंदिरों में चढ़ावे की रकम में भी कटौती हो रही है। तमाम ट्रस्टियों ने भी माना है कि आम दिनों के मुकाबले इन दिनों में चढ़ावे के तौर पर आने वाली रकम में जबरदस्त कमी आई है। नाम न छापने की शर्त में एक ट्रस्टी का कहना है कि चढ़ावे की रकम आम दिनों के मुकाबले 20 से 30 फीसद ही जमा हो रही है।
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