उत्तराखंड का ये गांव अब है भूतों का अड्डा, यहां दिन में भी नहीं आता कोई
उत्तराखंड का स्वाला गांव वर्षो पहले पलायन कर चुका है। गांव छोड़ने के पीछे ऐसी मान्यता है कि एक हादसे के बाद गांव में कुछ अजीबोगरीब घटनाएं हुई। जानिए, पूरा मामला।
देहरादून, [गौरव काला]: उत्तराखंड का ये गांव अब भूतों के अड्डे के रुप में जाना जाता है। 21वीं सदी में ये बातें यकीनन बकवास लगे लेकिन गांव से पलायन कर चुके ग्रामीणों का तो यही कहना है। वे कहते हैं कि अब उन्हें इस गांव में नहीं रहना। वहां कुछ अजीब सा है। कुछ साल पहले यहां एक हादसा हुआ था, जिसके बाद इस गांव की तस्वीर ही बदल गई।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 265 किलोमीटर दूर चंपावत जिले के स्वाला गांव को लोग आज भूत गांव के रुप में जानते हैं। टनकपुर से चंपावत की ओर जाते हुए यह गांव मध्य में आता है। 64 साल पहले यहां ऐसा नहीं था। सबकुछ ठीक था। अन्य गांवों की तरह यहां भी चहल-पहल थी। लेकिन एक हादसे ने इस गांव को भूतों का अड्डा बना दिया।
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गांव के बुजुर्ग लोग बताते हैं कि 1952 में 10 से 12 पीएसी जवानों से भरी एक मिनी बस गांव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जवानों ने ग्रामीणों से मदद की पुकार लगाई। कहते हैं कि ग्रामीण आए लेकिन जवानों की मदद करने के बजाय उनका सामान लूटकर चले गए।
जवान मदद के लिए चिल्लाते रहे लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। इलाज न मिल पाने से जवानों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। उस वक्त गांव में 20 से 25 परिवार रहते थे। कहा जाता है कि उसके बाद गांव में अजीबोगरीब घटनाएं हुई, जिसके बाद ग्रामीण आतंकित हो गए।
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पलायन कर चुका है पूरा गांव
अजीबोगरीब घटनाओं के खौफजदा ग्रामीणों ने धीरे-धीरे गांव छोड़ दिया। आज पूरा गांव खाली हो चुका है। ग्रामीणों के परपौत्र-पौत्र जो अब आस-पास बस चुके हैं, उनकी जमीनें गांव में अभी भी हैं, लेकिन कोई वहां जाने की हिम्मत नहीं करता।
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हादसे वाले स्थान पर मंदिर
जहां पीएसी के जवानों की हादसे में मौत हो गई थी, वहां एक मंदिर भी स्थापित किया गया है। इस सड़क से जाने वाला हर वाहन मंदिर में रुकता है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके साथ कुछ गलत घटनाएं नहीं होती।
कुछ नहीं मानते भूतों की बातें
स्वाला गांव से पलायन कर चुके ग्रामीणों के पौत्रों में कुछ भूत से डरकर गांव छोड़ने की बात से इंकार करते हैं। वे कहते हैं कि पलायन करने की वजह सुविधाओं का अभाव रहा। वे कहते हैं कि स्वाला गांव में सुविधाओं के नाम पर सड़क भी नहीं है। इसलिए पलायन हुआ।
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