उत्तराखंड: एक साल तक छिपाए रखा त्रियुगीनारायण-केदारनाथ ट्रैक पर नरकंकालों का राज!
त्रियुगीनारायण-केदारनाथ ट्रैक पर नरकंकालों की जानकारी केदारनाथ वन प्रभाग को दिसंबर 2015 से थी। विभागीय अधिकारी का कहना है कि उन्होंने यह सूचना देना जरूरी नहीं समझा।
रुद्रप्रयाग, [बृजेश भट्ट]: केदारनाथ आपदा के जख्मों को सहला रहे जिस राज्य में अधिकारियों को संवेदनशील होना चाहिए था, उन्होंने संवेदनहीनता की इंतेहा ही पार कर दी। इन दिनों त्रियुगीनारायण-केदारनाथ ट्रैक पर जिन नरकंकालों की खोज में सरकारी अमला जुटा हुआ है, इसकी जानकारी केदारनाथ वन प्रभाग को दिसंबर 2015 से थी, लेकिन यह सूचना प्रशासन को देने की जहमत तक नहीं उठाई गई।
केदारनाथ वन प्रभाग की प्रभागीय वन अधिकारी नीतू लक्ष्मी एम ने स्वीकार किया कि 'उप प्रभागीय वनाधिकारी ने मुझे इस बारे में बता दिया था।' साथ ही जोड़ा कि प्रशासन या सरकार को सूचना देनी जरूरी नहीं समझा गया।
दूसरी ओर रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ. राघव लंगर ने कहा कि इस मामले में वन विभाग का स्पष्टीकरण तलब किया जाएगा।
पढ़ें: केदारनाथ ट्रैकिंग रूट पर नरकंकालों की सूचना, सीएम ने दिए तलाश के आदेश
पिछले वर्ष सरकार ने केदारनाथ के लिए दो ट्रैकिंग रूट शुरू करने का ऐलान किया था। इसमें से एक रास्ता कालीमठ के पास चौरासी से होकर जाता है, जबकि दूसरा त्रियुगीनारायण से। इन ट्रैक को दुरुस्त करने का काम वन विभाग को सौंपा गया।
पच्चीस किलोमीटर लंबे त्रियुगीनारायण-केदारनाथ ट्रैक की मरम्मत का कार्य दिसंबर 2015 में आरंभ किया गया, जो मई 2016 में पूर्ण हुआ। वन विभाग ने यह कार्य ठेके पर कराया। इन पांच माह में तीस से चालीस मजदूर हर रोज ट्रैक पर मौजूद रहे।
इतना ही नहीं वन विभाग के अधिकारी कार्य के निरीक्षण के लिए समय-समय पर ट्रैक पर जाते रहे। बावजूद इसके प्रशासन को जानकारी नहीं दी गई। हद तो तब हो गई जब इसी माह आठ अक्टूबर को ट्रैकर्स ने नरकंकाल देखे जाने की सूचना मुख्यमंत्री हरीश रावत को दी और उनके निर्देश पर एक दल रूट पर वास्तविकता का पता लगाने गया है। तब भी वन विभाग के अफसरों ने मुंह नहीं खोला।
पढ़ें:-उत्तराखंड: त्रियुगीनारायण ट्रेक पर अब भी मौजूद हैं नर कंकाल
एक दिन पहले नरकंकालों का पता लगाने वाले ग्रामीणों के दल में शामिल सत्येंद्र सिंह तो यहां तक आरोप लगाते हैं कि वन विभाग ने नरकंकालों के ऊपर से ही ट्रैक का निर्माण कर डाला।
केदारनाथ वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी नीतू लक्ष्मी एम ने बताया कि नर कंकाल के बारे में जानकारी पहले से ही थी। पैदल मार्ग बनाते समय ये कंकाल अधिकारियों को दिखे थे। एसडीओ ने इसकी जानकारी मुझे दी। प्रशासन या सरकार को यह सूचना देना जरूरी नहीं समझा गया।
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डा. राघव लंगर का कहना है कि वन विभाग को यदि नर कंकाल के बारे में जानकारी थी, उन्हें तत्काल सूचना देनी चाहिए थी। इस मामले में विभाग से स्पष्टीकरण लिया जाएगा।