उत्तराखंड: त्रियुगीनारायण ट्रेक पर अब भी मौजूद हैं नर कंकाल
केदारनाथ आपदा के समय रामबाड़ा व केदारनाथ पैदल मार्ग पर हजारों की संख्या में यात्री फंस गए थे। अब भी त्रियुगीनारायण में एक ट्रैकिंग दल को कुल नर कंकाल नजर आए हैं।
रुद्रप्रयाग, [बृजेश भट्ट]: उत्तराखंड में त्रियुगीनारायण ट्रैक दल पर बड़ी संख्या में नर कंकाल मिलने पर सनसनी फैल गई है। केदारनाथ आपदा के तीन वर्ष बाद भी उनकी मौजूदगी कई सवाल उठा रही है।
केदारनाथ आपदा के समय रामबाड़ा, केदारनाथ घोड़ा पड़ाव व केदारनाथ पैदल मार्ग पर हजारों की संख्या में यात्री फंस गए थे, उनके पास इसी टैक रूट से आबादी तक पहुंचने का विकल्प मौजूद थे, लेकिन अधिकांश यात्री इस क्षेत्र में मौजूद घने जंगल में रास्ता बिछड़ गए। जिससे भूख, प्यास व ठंड से उनकी मौत हो गई।
सरकार ने इस पूरे जंगल में कभी भी ऐसा कोई अभियान नहीं चलाया जिससे यहां लापता हुए लोगों का सही पता चल सके। यही कारण रहा कि गत दिनों ट्रेकिंग पर गए एक दल के रास्ता भटकने पर नर कंकाल नजर आ गए।
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वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा में सरकारी आकड़ों के मुताबिक पांच हजार यात्री लापता हो गए थे, जिसमें से मात्र 613 का ही शव या कंकाल मिल पाए हैं, बाकी सभी लापता चल रहे हैं।
हजारों यात्री चौराबाड़ी ग्लेशियर से आए सैलाब में बह गए, यहां मौजूद पन्द्रह हजार से अधिक यात्री त्रासदी के बाद भी सुरक्षित थे, लेकिन समय से उन्हें सहायता न मिलने के कारण वह अपनी जान बचाने के केदारनाथ की पहाड़ियों पर चढ़कर नीचे आबादी की ओर चल पड़े।
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इसमें से अधिकांश पहाड़ से वास्ता रखने वाले लोग तो सकुशल घर पहुंच गए, लेकिन जो लोग पहाड़ के भौगोलिक परिस्थितियों से ज्यादा जानकार नहीं थे वह रास्ता भटक गए।
केदारनाथ धाम व पैदल मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण केदारनाथ से त्रियुगीनारायण टैक ही एक विकल्प यात्रियों के पास था जहां से वह बस्ती की ओर जा सकते थे।
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इसी लिए अधिकांश यात्री केदारनाथ से त्रियुगीनारायण ट्रैक की ओर चल पड़े। लेकिन यह ट्रैक भी काफी खतरनाक है, घने जंगलों से होकर गुजरने वाला इस टैक को भी आपदा के समय काफी नुकसान पहुंचा था, पहाड़ी से निकलने वाली जल धाराओं ने विकराल रूप धारण कर लिया था, जिससे इन्हें पार करना आसान नहीं था।
इसलिए बाहरी क्षेत्र के अधिकांश यात्री जंगलों में ही फंस गए, भूख, प्यास व ठंड से इनकी मौत हो गई।
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इसके बाद सरकार ने सर्च आपरेशन तो चलाया, लेकिन ट्रैक रूट से हट कर नहीं गए, यही कारण है कि आपदा के तीन वर्ष बाद भी इस क्षेत्र में नर कंकाल मिल रहे हैं, अभी भी यहां यदि सर्च आपरेशन चलाया गया तो काफी संख्या में नर कंकाल मिलने की संभावनाएं मौजूद हैं।
रुद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक पीएन मीणा के मुताबिक, आपदा के समय सभी संभावित क्षेत्रों में सर्च आपरेशन चलाया गया था। जिसमें छह सौ से अधिक शव व नर कंकाल खोजे भी गए। त्रासदी में बड़ी संख्या में लोग लापता हुए थे। ऐसे में नर कंकाल मिलने की संभावना बनी रहती है।
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