उत्तराखंड का एक गांव ऐसा जो खुद बना मॉडल, दूसरों के लिए नजीर
उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लाक का एक गांव ऐसा है, जो और के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है। यहां के लोगों ने ग्रामीण कृषि, बागवानी, पर्यटन व ट्रेकिंग से जीवन को खुशहाल बना दिया है।
उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: सीमांत उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लाक का एक ऐसा गांव, जिसे जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर होने पर भी वहां के लोगों स्वप्रयासों से मॉडल के रूप में ढाल दिया। 160 परिवारों वाले इस गांव का नाम है बार्सू। खासियत यह कि गांव से आज तक एक भी परिवार ने पलायन नहीं किया। यहां ग्रामीण कृषि, बागवानी, मौन पालन, मछली पालन व भेड़ पालन ही नहीं, पर्यटन व ट्रेकिंग से भी जीवन को खुशहाल बना रहे हैं।
बार्सू उत्तरकाशी के प्रसिद्ध दयारा बुग्याल का बेस कैंप भी है। यहीं से होते हुए पर्यटक छह किलोमीटर दूर दयारा बुग्याल की ट्रेकिंग करने के लिए जाते हैं। गांव के सात परिवार पूरी तरह पर्यटन व ट्रेकिंग के व्यवसाय से जुड़े हैं। इसमें से तीन परिवार गांव में गेस्ट हाउस चलाते हैं। जबकि, गांव के 90 फीसदी परिवार सब्जियों का उत्पादन करते हैं। 60 परिवारों ने तो सब्जी उत्पादन के लिए गांव में पॉलीहाउस भी बनाए हुए हैं। गांव में आलू, राजमा और चौलाई की अच्छी पैदावार होती है। एक सीजन में इस गांव के लोग 90 ट्रक आलू और 500 कुंतल राजमा बेचते हैं।
बार्सू निवासी एवं भटवाड़ी ब्लाक की पूर्व प्रमुख विनिता रावत बताती हैं कि बार्सू के कुछ लोग पहले उद्यान विभाग और कृषि विभाग में थे। इन्हीं की बदौलत गांव के लोग कृषि व बागवानी के प्रति आकर्षित हुए। वर्तमान में गांव का हर परिवार कृषि व पशुपालन से अपनी आर्थिकी संवार रहा है।
पढ़ें: केदारनाथ मंदिर की है अनोखी कहानी, भूमि में समा गए थे शिव
गांव के 78 वर्षीय सूरत सिंह रावत कहते हैं कि बार्सू कृषि, बागवानी व ईको टूरिज्म के लिहाज से महत्वपूर्ण गांव है। गांव के विकास में ग्रामीणों की बड़ी भूमिका है। यही वजह है कि गांव से आज भी एक भी परिवार ने पलायन नहीं किया।
पढ़ें-नशे के खिलाफ आवाज उठाकर महिलाओं के लिए 'परमेश्वर' बनी परमेश्वरी
बस यही दिक्कत कि इंटर कॉलेज नहीं
भटवाड़ी की पूर्व प्रमुख विनिता रावत के अनुसार गांव के सड़क से जुड़े होने के बावजूद यहां इंटर कॉलेज न होना काफी अखरता है। गांव के बच्चों को आठवीं से आगे की शिक्षा के लिए सात किलोमीटर दूर भटवाड़ी जाना पड़ता है।
15 परिवार कर रहे भेड़, मछली व मौन पालन
बार्सू गांव में दस परिवार भेड़ पालन से जुड़े हुए हैं। इन परिवारों के पास तीन हजार भेड़ हैं। जबकि, तीन परिवार मछली पालन और दो परिवार मौन पालन कर रहे हैं।
पढ़ें-लाचारी छोड़कर हौसले ने जगाया विश्वास, हारे मुश्किल भरे हालात
32 ग्रामीण सरकारी सेवा में
बार्सू के 32 ग्रामीण सरकारी सेवाओं में हैं। जिनमें से एक युवक सेना में अधिकारी के पद पर है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।