बदरीनाथ की बत्ती गुल, टार्च के सहारे हो रही मंदिर की सुरक्षा
बदरीनाथ मंदिर की सुरक्षा में लगे जवानोें को बगैर बिजली के ही रात काटनी पड़ रही है। सोलर लाइट न जलने से वे टार्च के सहारे भगवान के मंदिर की सुरक्षा कर ...और पढ़ें

पांडुकेश्वर, चमोली [जगजीत मेहता]: शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद वहां रह रहे पुलिस कर्मी टार्च के सहारे मंदिर की सुरक्षा में डटे हैं। वजह यह कि सोलर लाइट की बैटरी नहीं बदली गई। अब श्री बदरी-केदार मंदिर समिति और उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) इसकी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल रहे हैं।
16 नवंबर को धाम के कपाट बंद होने के साथ ही वहां का बिजली कनेक्शन काट दिया जाता है। इसकी वजह यह है कि सर्दियों में भारी बर्फबारी की वजह से तार क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। वैकल्पिक तौर पर ऐसे वक्त के लिए उरेडा ने मंदिर में चार सोलर लाइट लगाई हैं। यह व्यवस्था वर्ष 2008 से चली आ रही है।
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ये लाइटें सिंहद्वार, लक्ष्मी द्वार, वीआइपी गेट और मंदिर परिसर में हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से एक भी लाइट नहीं जल रही है। इसका गकारण इन लाइटों की बैटरी न बदलना है।
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इन दिनों मंदिर की सुरक्षा में बदरी-केदार मंदिर समिति के स्वयं सेवक और 15 पुलिस कर्मचारी तैनात हैं। इनके लिए राशन और आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था कपाट बंद होने से पहले कर दी जाती है। चमोली की पुलिस अधीक्षक प्रीति प्रियदर्शनी ने बताया कि ये कर्मचारी मिलजुल कर बारी-बारी से तीन-तीन घंटे की ड्यूटी करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की बात सामने आई है। इसके लिए छोटी सोलर लाइट बदरीनाथ पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।
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दूसरी ओर मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह ने बताया कि उरेडा को सोलर लाइटें दुरुस्त करने को कहा गया था, लेकिन उसने जिम्मेदारी नहीं निभाई। उरेडा के अवर अभियंता भूपाल सिंह कुंवर का कहना है कि बदरीनाथ धाम में सोलर लाइट लगाने के बाद इसे मंदिर समिति के हैंडओवर कर दिया गया था। कुंवर के अनुसार लाइट को ठीक करने का काम मंदिर समिति का है।
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