साईं जन्म और कर्म से हैं मुसलमान: शंकराचार्य
ज्योतिर्पीठ और द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि साईं जन्म व कर्म से मुसलमान हैं। उन्होंने कभी भी गंगा को नहीं माना, कभी पूजा नहीं की।
चमोली, [जेएनएन]: ज्योतिर्पीठ और द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि साईं जन्म व कर्म से मुसलमान हैं। उन्होंने कभी भी गंगा को नहीं माना, कभी पूजा नहीं की। उन्होंने यह बात बदरीनाथ स्थित शंकराचार्य आश्रम में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।
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मुस्लिमों के भरोसे राज कर रही यूपी सरकार
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार मुसलमानों के भरोसे चल रही है। उन्होंने कैराना से हिंदुओं को पलायन करने के बजाए उन्हें दृढ़ता से वहीं डटे रहने की सलाह दी। शंकराचार्य ने गंगा को पहाड़ों के अंदर कैद करने पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में नदियों को कतई भी नहीं बांधा जाना चाहिए।
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पुराणों में पांच देवों की ही होती पूजा
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने देश में साईं की पूजा पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि हमारे पुराणों में पांच देवों की ही पूजा होती है। उनमें हैं शिव, शक्ति, विष्णु, सूर्यनारायण और गणेश भगवान। उन्होंने कहा कि साईं जन्म व कर्म से मुसलमान हैं।
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टेलीविजन के माध्यम से फैला रहे भ्रम
उन्होंने कहा कि साईं ने कभी भी गंगा को नहीं माना, कभी पूजा नहीं की। साईं के समर्थकों ने टेलीविजन के माध्यम से झूठे चमत्कारों का प्रचार-प्रसार कर यह भ्रम फैलाया की साईं भगवान हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में व्यक्ति की पूजा नहीं की जाती है, बल्कि भगवान की पूजा की जाती है।
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गुरुद्वारों व मस्जिद में क्यों नहीं होती साईं की पूजा
उन्होंने कहा कि साईं अपूज्य हैं। आज साईं का भ्रम जनता में फैलाने के लिए साईं की मूर्ति पूजा हो रही है। उन्होंने सवाल किए कि गुरुद्वारों व मस्जिद में साईं की पूजा क्यों नहीं की जाती। कहा कि यदि साईं भगवान रहते तो लातूर में पानी का संकट क्यों गहराता।
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उत्तराखंड के सभी तीर्थों की एक सूची बने
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड के छोटे-छोटे तीर्थों के दर्शन देश विदेश के यात्रियों को होने चाहिए। कहा कि उन्होंने सरकार से उत्तराखंड के सभी तीर्थों की एक सूची बनाने का आग्रह किया है। यह भी आग्रह किया है कि इन तीर्थों में यात्रियों को पहुंचाने के लिए सरकारी बसों का संचालन किया जाए। शंकराचार्य ने देश में बांधों का विरोध भी किया। कहा कि बांध बनाने से नदियों की पवित्रता भी समाप्त हो रही है।
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