अब भरने लगे हैं उत्तराखंड में तीन वर्ष पूर्व आई दैवीय आपदा के जख्म
त्तराखंड को तीन वर्ष पूर्व दैवीय आपदा में मिले गहरे जख्म अब भरने लगे हैं। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में तबाह हो चुकी सड़कें व पुल दोबारा से आकार ले रहे हैं।
देहरादून, [सुभाष भट्ट]: उत्तराखंड को तीन वर्ष पूर्व दैवीय आपदा में मिले गहरे जख्म अब भरने लगे हैं। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में तबाह हो चुकी सड़कें व पुल दोबारा से आकार ले रहे हैं, तो जिंदगी भी पटरी पर लौटने लगी है। बेशक, प्रदेश का सरकारी तंत्र पूरी मुस्तैदी से इस मुहिम में जुटा है, मगर इस सदमे से उबरने की जिद्दोजहद में लगे आम जनमानस का मनोबल यात्रामार्गों पर उमड़ी भीड़ के सहारे ही मजबूत होता दिख रहा है। चारों धाम में घंटे-घड़ियालों की गूंज तीन वर्ष से पसरी खामोशी को चीर रही है। अगस्त 2014 में शुरू हुए उत्तराखंड आपदा पुनर्निर्माण कार्यक्रम के तहत अब तक 324 में से 36 क्षतिग्रस्त सड़कों का पुनर्निर्माण पूरा हो चुका है।
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जून 2013 में दैवीय आपदा से हुई भारी तबाही ने उत्तराखंड को भीतर तक झकझोर कर रख दिया था। पांच जिलों के 4200 गांव सीधे तौर पर प्रभावित हुए, तो सैकड़ों सड़कें भी उस जलप्रलय में तबाह हो गईं। क्षतिग्रस्त सड़कों पर फौरी तौर पर यातायात बहाली के बाद उनका पुनर्निर्माण ही सबसे बड़ी चुनौती थी। इस कड़ी में उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक से 112 सड़कों के लिए राज्य को 1067.39 करोड़ रुपये के ऋण की मंजूरी मिली, जबकि विश्व बैंक से भी 212 सड़कों के लिए 1089.98 करोड़ रुपये मंजूर हुए।
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अगस्त 2014 में इन योजनाओं में जमीन पर काम प्रारंभ होने के बाद बीती 31 मई तक 324 में से 36 सड़कों के पुनर्निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है। दोनों योजनाओं में स्वीकृत 2157.37 करोड़ में से 48.87 फीसद धनराशि अब तक खर्च हो चुकी है, जबकि जारी किए गए 1342.66 करोड़ की 78.53 प्रतिशत धनराशि खर्च की जा चुकी है। एडीबी के तहत स्वीकृत कार्य चरणबद्ध ढंग से दिसंबर 2017 तक और विश्व बैंक तहत स्वीकृत कार्य सितंबर 2018 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।
सड़कों के पुनर्निर्माण में खर्च स्थिति
योजना मंजूर जारी खर्च
एडीबी 1067.39 678.39 435.76
विश्वबैंक 1089.98 664.27 618.70
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कुल 2157.37 1342.66 1054.46
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(नोट: धनराशि करोड़ रुपये में।)
सड़कों के पुनर्निर्माण की प्रगति
योजना सड़कें लंबाई (किमी) पूर्ण
एडीबी 112 1964 19
विश्वबैंक 212 1496 17
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योग 324 3460 36
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नहीं खुली गांवों के विस्तार की राह
आपदा के मुहाने पर खड़े प्रदेश के 376 गांवों के सुरक्षित विस्थापन की राह अब तक नहीं खुल पाई। हालांकि, राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्र से करीब 1000 करोड़ के विशेष पैकेज की मांग की है, मगर केंद्र से यह वित्तीय मदद मिलने की उम्मीद कम ही है। बहरहाल, राज्य सरकार ने उक्त 376 गांवों का दोबारा से भूगर्भीय सर्वेक्षण भी शुरू किया है। इसके जरिए उक्त गांवों को खतरे की संवेदनशीलता के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा जा रहा है। शुरुआती दौर में 73 गांव अत्याधिक संवेदनशील श्रेणी में रखे गए हैं। राज्य सरकार अपने वित्तीय संसाधनों के जरिए उक्त गांवों को वरीयता के आधार पर विस्थापित करेगी। इस मद में गत वर्ष 30 लाख रुपये का प्रावधान किया गया था, जबकि इस वर्ष के बजट में आठ करोड़ का प्रावधान किया गया है। हालांकि, गांवों के विस्थापन की बड़ी मुहिम के लिए यह धनराशि भी नाकामी ही है।
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