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    केदारनाथ आपदा के तीन सालः आज भी राह ताक रही अंतिम निशानियां

    केदारनाथ घाटी में तीन वर्ष पूर्व आई तबाही के बाद पुलिस के कब्जे में रखी सैकड़ों निशानियां आज भी अपनों के इंतजार में हैं।

    By BhanuEdited By: Updated: Fri, 17 Jun 2016 11:30 AM (IST)

    देहरादून, [ विकास गुसाईं ]: केदारनाथ घाटी में तीन वर्ष पूर्व आई तबाही के बाद पुलिस के कब्जे में रखी सैकड़ों निशानियां आज भी अपनों के इंतजार में हैं। पुलिस के पास एकत्र तकरीबन तीन सौ वस्तुओं में से कुछ पर लोगों ने दावा जताया, लेकिन डीएनए सैंपल की जांच से पीछे हटने के कारण वे इन्हें हासिल नहीं कर पाए।

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    वहीं, पुलिस की ओर से आपदा के बाद लिए गए 650 से अधिक डीएनए सैंपल के मिलान के लिए महज 50 लोग ही आगे आए हैं। यह बाद दीगर है कि मुआवजे के लिए पांच हजार से अधिक लोगों ने अपना दावा किया।

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    केदारनाथ घाटी में तीन वर्ष पूर्व जून माह में आई आपदा में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों लापता हुए। पुलिस की ओर से आपदा में बाबा केदार की गोद में सोने वाले लोगों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में शवों का डीएनए सैंपल लेने के साथ ही उनके पास से मिले आभूषण व अन्य पहचान चिह्न अपने पास सुरक्षित रख लिए गए थे।


    इन वस्तुओं को फोटो सहित पूरा ब्यौरा पुलिस मुख्यालय की वेबसाइट के साथ ही अन्य सोशल साईट्स पर डाला गया। मकसद यह था कि परिजन इनकी पहचान कर अपनों की अंतिम निशानियां सहेज कर अपने पास रख सकें।

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    इन निशानियों में कानों की बालियां, कड़े, पर्स आदि सामान रखे गए हैं। पुलिस की ओर से वेबसाइट में डाली गई इन निशानियों के लिए शुरुआत में कई लोगों ने पुलिस मुख्यालय से संपर्क साधा और इनकी पहचान भी की मगर डीएनए सैंपल मिलान की बात सामने आते ही दावेदार पीछे हट गए। आज भी ये सारी वस्तुएं रुद्रप्रयाग में रखी हुई हैं।


    उधर, केदारघाटी में आपदा के बाद पुलिस की ओर से चलाए गए अभियान में विभिन्न स्थानों पर 650 कंकाल बरामद किए गए। डीएन सैंपल लेने के बाद इनका दाहसंस्कार किया गया। इन सैंपलों को हैदराबाद भेजा गया।

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    व्यवस्था यह की गई कि अपने परिजनों की तलाश में आया कोई भी परिजन इनसे मिलान के लिए अपना डीएनए सैंपल भेज सकता है। अचरज यह रहा कि पुलिस की ओर से तमाम राज्यों को पत्र भेजने के बावजूद मात्र 50 लोग ही डीएनए सैंपल के लिए आगे आए। इनमें से केवल 14 लोगों के ही डीएनए का मिलान हो पाया।


    आपदा के दौरान सर्च एवं रेस्क्यू आपरेशन की कमान संभालने वाले पुलिस महानिरीक्षक जीएस मार्तोलिया का कहना है कि डीएनए सैंपल की जांच के लिए लोगों को आगे आना चाहिए था मगर ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आपदा के बाद मिली निशानियां आज भी रुद्रप्रयाग में रखी हुई हैं। कोई भी इन्हें आकर देख सकता है लेकिन इन्हें हासिल करने के लिए पूरी प्रक्रिया अपनानी होगी।

    अभी भी अपनों को ढूंढ रहे परिजन
    आपदा में सैकड़ों लोग लापता हुए। इनमें से कई लोग आपदा के बाद कई स्थानों पर बदहवास हालात में पाए गए। यही कारण है कि परिजन अभी भी अपनों के मिलने की आस लगाए हुए हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश के एक परिवार को किसी ने आपदा के दौरान लापता हुए उनके परिजन को श्रीनगर में देखे जाने की सूचना दी। इस सूचना पर परिवार ने पुलिस से संपर्क साध कर अपने परिजन को ढूंढने को मदद मांगी है।

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    अभी 290 मुआवजे लंबित
    आपदा के तीन वर्ष बाद भी आपदा में लापता लोगों की संख्या को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। समुचित साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण अभी तक मुआवजे के 290 मामले लंबित हैं, जबकि 91 नए नाम ऐसे आए हैं जो पूर्व में सूची में शामिल नहीं थे।
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