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    मिसाल: हिंदू मंदिर का निर्माण कर रहे मुस्लिम कारीगर, पढ़ें कहां

    यहां नृसिंह मंदिर के निर्माण कार्य में मुस्लिम कारीगर जुटे हैं। इसके अलावा मंदिर एक और अनोखा कीर्तिमान स्‍थापित करने वाला है।

    By gaurav kalaEdited By: Updated: Tue, 28 Jun 2016 08:25 AM (IST)

    गोपेश्वर, चमोली, [जेएनएन]: यहां नृसिंह मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। इस निर्माण कार्य की खास बात यह है कि इस हिंदू मंदिर के निर्माण में मुस्लिम कारीगर लगे हैं। इसके अलावा भी मंदिर एक अनोखा कीर्तिमान स्थापित करने वाला है। पढ़ें।
    जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में भगवान बदरीविशाल की शीतकालीन पूजाएं होती हैं। नृसिंह मंदिर के जीर्ण क्षीण होने के चलते इसके जीर्णोद्धार का कार्य 2013 में शुरू किया गया था। लेकिन कार्य कर रही संस्था द्वारा समय पर कार्य न करने के चलते मंदिर समिति ने 2015 में यह कार्य अपने हाथों में ले लिया। मंदिर को हिमाद्र शैली में बनाया जा रहा है।

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    दरवाजों की नक्कासी पर लगे हैं मुस्लिम कारीगर
    मंदिर के दरवाजों की नक्काशी के लिए यूपी से मुस्लिम कारीगर कार्य पर लगे हैं। इन कारीगरों को हिंदू मंदिर में कार्य करने को लेकर उत्साह भी है। सहारनपुर से यहां मंदिर के सभी द्वारों पर नक्कासी करने के लिए आए कारीगारों का कहना है कि जब उन्हें यह कार्य मिला तो उन्हें पहाड़ में आकर कार्य करने को लेकर दिक्कत तो थी, पर मंदिर का कार्य होने के चलते उन्होंने यह कार्य करने का मन बनाया। उन्हें मंदिर में कार्य करने की खुशी भी है।
    इस मंदिर की एक और खास बात यह है कि 66 फुट ऊंचा यह मंदिर उत्तराखंड में ऊंचाई की दृष्टी से तीसरे नंबर का कीर्तिमान स्थापित करेगा। अब तक उत्तराखंड में ऊंचाई के पैमाने पर पहले नंबर पर गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर व दूसरे पर केदारनाथ मंदिर दर्ज है।

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    निर्माणाधीन नृसिंह मंदिर पर ललितपुर स्टौन लगाया जा रहा है। इस स्टौन में नक्कासी की जा रही है। मंदिर समिति का लक्ष्य है कि 2016 में मंदिर को श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए तैयार किया जाए। ताकि 2017 में यात्रा सीजन शुरू होने से पहले मंदिर में श्रद्धालु दर्शन कर सकें।
    बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह कहते हैं कि मंदिर का निर्माण जल्द ही पूरा किया जाएगा। मंदिर को बड़े स्वरूप में बनाकर इसके आसपास सौंदर्यीकरण की कार्य योजना भी है।
    ये है धार्मिक मान्यता
    जोशीमठ नृसिंह भगवान की मूर्ति विराजमान है। नृसिंह का वृग्रह रूप काले रंग की शिला स्यालिग्राम के रूप में है। मूर्ति की बांयी कलाई घिस रही है। शास्त्र मान्यता भी है कि जब नृसिंह भगवान का बायां हाथ खंडित हो जाएगा, तब जय विजय पर्वत मिल जाऐगे। तब भगवान बदरीनाथ जी के दर्शन भविष्य बदरी में होंगे।

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