यहां अंतिम संस्कार को लगानी पड़ती है चार किलोमीटर दौड़
नंदप्रयाग संगम की ओर जाने वाला झूला पुल आपदा के बाद से क्षतिग्रस्त है। ऐसे में ग्रामीणों को शवों के अंतिम संस्कार के लिए चार किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी नापनी पड़ी रही है।

गोपेश्वर, [जेएनएन]: नंदप्रयाग संगम की ओर जाने वाला झूला पुल आपदा के बाद से क्षतिग्रस्त है। पुल के नव निर्माण को लेकर लोनिवि ने कार्ययोजना बनाई थी, लेकिन प्रशासन के पास धनराशि न होने से काम लटका है। स्थिति यह है कि अंतिम संस्कार के लिए संगम तक शवों को ले जाने के लिए चार किमी अतिरिक्त दूरी नापनी पड़ रही है।
पंचप्रयागों में शामिल नंदप्रयाग चमोली की थराली, कर्णप्रयाग व बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्रों से लगा हुआ है। इस प्रयाग में क्षेत्र के ही नहीं, दूर-दूर से भी लोग शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए आते हैं। नंदप्रयाग के नंदाकिनी नदी पर बना झूला पुल 2013 की आपदा में बह गया था।
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तब लोनिवि कर्णप्रयाग ने 90 लाख का आंगणन जिला प्रशासन को भेजा था। परंतु आपदा से क्षतिग्रस्त योजनाओं के पुनर्निर्माण व मरम्मत के लिए बनी समिति ने इस पुल की उपयोगिता को नजरअंदाज कर धनराशि आवंटित नहीं की।
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2014 में पुल के नव निर्माण के लिए धनराशि इसलिए आवंटित नहीं हुई, क्योंकि आपदा के नियमों के अनुसार वित्तीय वर्ष में ही धनराशि योजना पर स्वीकृत की जा सकती है। ऐसे में नियमों का पेच ऐसा फंसा कि आज तक इस झूला पुल के नव निर्माण के लिए धनराशि नहीं मिल पाई है।
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प्रशासन ने पुल की उपयोगिता को समझते हुए 2016 में शासन को धनराशि स्वीकृति के लिए कार्ययोजना भेजी थी, जो लौटी नहीं। ऐसे में झूलाबगड़ स्थित झूला पुल से नंदप्रयाग बाजार के रास्ते संगम तक पहुंचने के लिए चार किमी की आवाजाही अतिरिक्त करनी पड़ रही है।

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