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    यहां पानी ढोने में ही बीत जाता है ग्रामीणों का समय

    By BhanuEdited By:
    Updated: Tue, 24 Jan 2017 06:50 AM (IST)

    थौलधार प्रखंड के ग्राम पंचायत भेटी के तीन गांव भेटी, मजियाड़ी व पावखाल के ग्रामीण पेयजल की समस्या जूझ रहे हैं। यहां के ग्रामीणों का अधिकांश समय पानी ढोने में ही व्यतीत होता है।

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    यहां पानी ढोने में ही बीत जाता है ग्रामीणों का समय

    कंडीसौड़, टिहरी, [जेएनएन]: थौलधार प्रखंड के ग्राम पंचायत भेटी के तीन गांव भेटी, मजियाड़ी व पावखाल के ग्रामीण पेयजल की समस्या जूझ रहे हैं। यहां के ग्रामीणों का अधिकांश समय पानी ढोने में ही व्यतीत होता है।

    इन गांव के छह सौ परिवार के लिए मात्र दो हैंडपंप हैं। इनमें भी पर्याप्त पानी न होने से ग्रामीण प्राकृतिक स्रोत की और रुख करते हैं। इस स्रोत में भी पानी की कमी रहती है। ऐसे में वर्षों से ग्रामीण पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं।

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    आजादी के 68 वर्ष व राज्य गठन के 16 वर्षों बाद भी थौलधार विकासखंड की ग्राम पंचायत भेटी के तीन गांवों भेटी, मंजियाड़ी व पावखाल में पर्याप्त पानी की व्यवस्था नहीं हो पाई है।

    ग्रामीणों के मुताबिक भेटी के लिए पच्चीस वर्ष पूर्व पेयजल योजना बनी थी। इसका पानी पिछले आठ वर्षों से पानी विकोल गांव से आगे नहीं बढ़ सका। ग्रामीण गरीब दास, जोत सिंह, कुंवर सिंह, बचन सिंह, चन्दन आदि का कहना है लगातार अधिकारियों का ध्यान इस ओर दिलाने के बाद भी अभी तक गांव के लिए अलग से लाइन नहीं बिछाई गई।

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    ग्राम प्रधान बिजला देवी का कहना है कि नई पेयजल योजना के लिए प्रस्ताव जल संस्थान, जल निगम, स्वजल तक भेजा गया, लेकिन एक हैंडपंप लगाने के अलावा कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

    इस संबंध में जल संस्थान के अवर अभियंता जीसी सेमवाल के मुताबिक गांव में हैंडपंप लगाया गया है, जबकि पुरानी योजना के पुनर्गठन का प्रस्ताव भेजा गया है। धनराशि मिलते ही योजना का पुनर्निर्माण किया जाएगा।यह भी पढ़ें: सेमेस्टर परीक्षा के विरोध में छात्रों ने किया प्रदर्शन