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    मेरठ के वैज्ञानिक की खोज, हजार गुना तेज करेगा कंप्यूटर की गति

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Wed, 23 Nov 2016 10:17 AM (IST)

    दुनियाभर में कंप्यूटर के गॉड पार्टिकल की खोज चल रही है। मेरठ का युवा वैज्ञानिक अमेरिका में इस कण की दहलीज पर पहुंच गया है। यह कण मिला तो सेंट्रल सर्वर से पूरी दुनिया कनेक्ट होगी।

    मेरठ [संतोष शुक्ल]। एक कण जो हजार गुना तेज कर देगा कंप्यूटर की दुनिया। दुनियाभर में कंप्यूटर के गॉड पार्टिकल की खोज चल रही है। मेरठ का युवा वैज्ञानिक अमेरिका में इस कण की दहलीज पर पहुंच गया है। अगर यह कण मिला तो सेंट्रल सर्वर से पूरी दुनिया कनेक्ट हो सकेगी। अंतरिक्ष विज्ञान, रेलवे, एविएशन, दूरसंचार, सेटेलाइट, बिजनेस, पर्यटन एवं विज्ञान में अनुसंधान की नई क्रांति आ जाएगी।

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    270 डिग्री पर चलती है लैब
    परतापुर गांव के सत्तन सिंह के पुत्र राजकुमार ने मुंबई आइआइटी से मैटेरियल साइंस में एमटेक करने के बाद अमेरिका की नार्थ कैरोलिना विवि में ट्रापोलोजिकल इंसुलेटर पर काम शुरू किया। इसमें जादुई मावरान कण मिल सकता है, जिससे कंप्यूटर की गति एक हजार गुना से ज्यादा तेज हो जाएगी। इसके लिए उनके प्रोजेक्ट को दुनियाभर में सराहना मिल चुकी है। वह बिस्मतसैलेनाइड मेटल पर सुपर कंडक्टर की परत चढ़ाकर उसमें मावरान कण की खोज में जुटे हैं। यह कण 70 वर्ष पहले एक वैज्ञानिक द्वारा चर्चा में आया, जब पता चला कि इसमें पाजिटिव व निगेटिव दोनों गुण होते हैं। इससे हाई पावर मेमोरी डिवायस भी बनाई जा सकेगी। इसके लिए राजकुमार -270 डिग्री की ठंडी और हाईमैग्नेटिक फील्ड वाली लैब में शोध कर रहे हैं। इस कण की खोज में लगे राजकुमार ने बताया कि क्वांटम कंप्यूटेशन में गूगल की भांति एक वेबसाइट से पूरी दुनिया में काम किया जा सकेगा। अभी कंप्यूटर में इलेक्ट्रान के सहारे सूचनाएं चल रही हैं, किंतु क्वांटम कंप्यूटेशन में यह काम तरंगों के जरिए होगा।
    राजकुमार यूएसए में सेमी कंडक्टर इंडस्ट्री पर भी काम कर रहे हैं। बताया कि कंप्यूटर दशकभर में अपनी उच्चतम क्षमता पार कर जाएगा। अभी एक इंच लंबे चिप में 14 नैनोमीटर के सात अरब 20 करोड़ ट्रांजिस्टर लगाए जा सकते हैं, किंतु इसकी क्षमता घटाकर पांच नैनोमीटर से कम नहीं की जा सकेगी। ऐसे में राजकुमार सिलिकान की जगह गैलियम आर्सेनाइड के नैनोवायर पर काम रहे हैं। वर्ष 1970 में कंप्यूटर में एक इंच की चिप में जहां 2300 ट्रांजिस्टर थे, वहीं इसकी संख्या सात अरब से ज्यादा हो चुकी है। 2013 में अमेरिका में फिजिकल इलेक्ट्रानिक कांफ्रेंस में पहला पुरस्कार जीत चुके राजकुमार कार्बन सुपरकंडक्टर की भी खोज कर चुके हैं, जो जल्द ही वल्र्ड साइंस जर्नल में प्रकाशित होगा।

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