उत्तर प्रदेश को पाकिस्तान नहीं बनने दिया और न बनने देंगेः मायावती
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने यकीन दिलाया कि बसपा सरकार ने कभी यूपी को पाकिस्तान नहीं बनने दिया और नहीं बनने देंगी।
लखनऊ (जेएनएन)। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने आज तेवर बदलते हुए लोकतंत्र बचाने के लिए भाजपा विरोधी दलों से हाथ मिलाने के संकेत दिए। यूपी विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों को अधिक टिकट देने का फार्मूला फ्लाप होने पर सफाई दी और कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा ने दुष्प्रचार किया कि ऐसे तो उप्र पाकिस्तान बन जाएगा। 2007 की सरकार में बहुत मुस्लिम विधायक भी थे लेकिन हमने उत्तर प्रदेश को पाकिस्तान नहीं बनने दिया। उन्होंने दलित, पिछड़े, अपर कास्ट को यकीन दिलाया कि भविष्य में बसपा सरकार बनी तो भी उप्र को पाकिस्तान नहीं बनने दूंगी।
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ईवीएम गड़बड़ी का आरोप दोहराया
मायावती ने लखनऊ में अंबेडकर जयंती पर अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि आने वाले दिनों में प्रदेश की सियासत नई दिशा में भी मुड़ सकती है। वर्ष 2014 के लोकसभा व इस वर्ष विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के लिए ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) में गड़बड़ी के आरोपों को दोहराते हुए मायावती ने एलान किया कि भाजपा के खिलाफ व लोकतंत्र बचाने के लिए विरोधी दलों से भी हाथ मिलाना पड़ा तो परहेज नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी हित में जहर को जहर से मारने का फार्मूला आजमाना जरूरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने प्रदेश की 403 में उन 250 सीटों पर ईवीएम से छेड़छाड़ की जहां उसे हारने की उम्मीद थी।
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अब बसपा परिवारीजन हिताय
परिवारवाद के मुद्दे पर विरोधियों को घेरने वाली मायावती के स्वर पूरी तरह बदले हुए थे। भाई आनंद को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का एलान किया परंतु कार्यकर्ताओं में नाराजगी न बढ़े, इसे ध्यान में रखते हुए शर्त लगाने की बात भी कहीं। उन्होंने कहा कि आनंद कुमार को कभी सांसद, विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री न बनाने की हिदायत दी है। वह पार्टी में हमेशा निस्वार्थ भाव से कार्य करता रहेगा। उन्होंने बसपा का उपाध्यक्ष होने का महत्व समझाते हुए बताया कि आनंद को दिल्ली दफ्तर की कमान सौंप दी जाएगी। आनंद को उपाध्यक्ष बनाते हुए मायावती केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न जांचों में फंसाकर परेशान करने का आरोप लगाना नहीं भूली। उनका कहना था कि उन्हें और रिश्तेदारों को राजनीतिक विद्वेष में फंसाया जा रहा है।
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लिखे भाषण पढऩे की वजह बताई
लगातार चुनावी पराजय का असर अंबेडकर जयंती में नजर आया। अर्से बाद मायावती के किसी कार्यक्रम में इतनी कम भीड़ जुटी जिस पर बसपा प्रमुख को सफाई देनी पड़ी। उनका कहना था कि गत 11 अप्रैल को ईवीएम विरोधी प्रदर्शन होने के कारण यहां भीड़ कम रही। लिखा हुआ भाषण पढऩे के आरोपों पर मायावती बचाव की मुद्रा में थी। उन्होंने बताया कि 1996 में गले का बड़ा ऑपरेशन हुआ था। डाक्टरों ने उनको लिखा भाषण ही पढऩे की सलाह दी ताकि ऊंची आवाज में नहीं बोलना पड़े और उन्हें अधिक दवाइयां न खानी पड़े।
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योगी को सीएम बनाना धोखा
सपा व कांग्रेस पर मौन रही बसपा प्रमुख के निशाने पर केवल भाजपा ही रही। उन्होंने योगी आदित्यनाथ को आरएसएस की पसंद बताते हुए कहा कि चुनाव से पूर्व भाजपा ने पिछड़ों का वोट लेने को प्रदेश अध्यक्ष पद से ब्राह्मण को हटाकर पिछड़े वर्ग के नेता को बैठाया और मुख्यमंत्री पद सौंपने का प्रचार भी किया। बहुमत मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस के योगी को मुख्यमंत्री बना पिछड़ों, दलितों व ब्राह्मणों से धोखा किया, वहीं भूमिहारों को भी भ्रम में रखा।
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एक मई से संगठन विस्तार
मायावती ने हिंदुत्व की खामी गिनाने के साथ जनाधार बढ़ाने की चिंता भी जताई। उनका कहना था कि ईवीएम मुद्दे पर हर माह 11 तारीख को प्रस्तावित प्रदर्शन अब नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अगली रणनीति बनेगी परंतु एक मई से जनाधार बढ़ाने के लिए जिलों और मंडलों में बैठकों का सिलसिला शुरू किया जाएगा।
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