Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जानिए- इतिहास के पन्नों में किस तरह से दर्ज है रानी पद्मावती की कहानी

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Thu, 23 Nov 2017 11:58 PM (IST)

    फिल्म पद्मावती विवादः जानें प्रेम मार्गी सूफी संत मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित काव्य पद्मावत के हवाले से पद्मावती, राजा रतन सिंह, गंधर्वसेन और मेवाड़ से संबंधित गौरव गाथा।

    जानिए- इतिहास के पन्नों में किस तरह से दर्ज है रानी पद्मावती की कहानी

    लखनऊ [नवल मिश्र]। निर्माता-निर्देशक संजय लीला भांसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर चल रहे विवाद के बाद लोग पद्मावती, राजा रतन सिंह, गंधर्वसेन और मेवाड़ से संबंधित जानकारियों के लिए इतिहास खंगाल रहे हैं। इतिहास और साहित्य में रानी पद्मिनी की गौरव गाथा को लेकर साहित्य प्रेमियों में मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित पद्मावत की मांग सबसे अधिक है। यही नहीं जिज्ञासु गूगल में लगातार पद्मावती से जुड़े टेक्स्ट और फोटो सर्च कर रहे हैं। दरअसल पद्मावत वह पुस्तक है जिसमें अलाउद्दीन के दरबार में रानी पद्मिनी का नखशिख वर्णन मर्यादाओं के करीब तक पहुंच कर किया गया है। यह प्रेम मार्ग को पुष्ट करने वाला महाकाव्य है जिसमें प्रेम को परमेश्वर के रूप में स्थापित किया गया है। हमारी वेब डेस्क ने भी मलिक मोहम्मद जायसी रचित पद्मावत और कुछ अन्य साहित्य का अध्ययन करने के बाद रानी पद्मिनी की शानदार गाथा को कुछ इस प्रकार संजोया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रेम-साधना का संदेश 

    चित्तौड़ की रानी पद्मावती का वर्णन जितना अधिक मलिक मोहम्मद जायसी के साहित्य में है उतना अधिक और कहीं नहीं दिखाई देता। हिंदी साहित्य के प्रामणिक इतिहास के मुताबिक जायसी प्रेममार्गी सूफी संत थे। पद्मावत की रचना में उन्होंने नायक रतनसेन और नायिका पद्मिनी की प्रेमकथा के जरिए प्रेम-साधना का संदेश दिया है। रतनसेन चित्तौड़ का राजा है। पद्मावती उसकी रानी है जिसके सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर तत्कालीन सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी उसे पाने के लिए चित्तौड़ पर आक्रमण कर युद्ध में जीतता है। बावजूद इसके पदमावती के जौहर के कारण वह उसे जीवित नहीं पाता है।

    यह भी पढ़ेः फिल्म पद्मावती की नायिका दीपिका का सिर कलम करने पर पांच करोड़ इनाम

    राजा का पद्मावती के प्रति आकर्षण

    पद्मिनी श्रीलंका के राजा गंधर्वसेन की पुत्री थी। उसके पास हीरामन नाम का एक तोता था। एक दिन पद्मावती की अनुपस्थिति में बिल्ली के आक्रमण से बचकर वह तोता भाग निकला और एक बहिलिए के जाल में फंसा गया। बहेलिए से उसे एक ब्राह्मण ने खरीद लिया जिसने चित्तौड़ आकर उसे राजा रतनसिंह के हाथ बेच दिया। इसी तोते से राजा ने पद्मिनी के अद्भुत सौंदर्य का वर्णन सुना तो उसे प्राप्त करन के लिये योगी बनकर निकल पड़ा। जंगल और समुद्र पार कर वह  श्रीलंका (सिंहल द्वीप) पहुँचा। उसके साथ में वह तोता भी था।

    यह भी पढ़ेः भंसाली 'मॉर्डन पद्मावती' पर बना रहे फिल्म, अगले साल होगी रिलीज

    रतनसिंह-पद्मावती प्रेम संदेश

    हीरामन तोते के जरिए राजा ने पद्मावती के पास अपना संदेश भेजा। इसके बाद जब पद्मावती राजा से मिलने आई तो राजा उसे देखकर मूर्छित हो गया और पद्मावती उसे अचेत छोड़कर चली गई। जाते समय पद्मावती ने उसके हृदय पर चंदन से लिखा था कि उसे वह तब पा सकेगा जब वह सिंहलगढ़ पर चढ़कर आएगा। इसके बाद राजा ने तोते के बताए गुप्त मार्ग से सिंहलगढ़ में प्रवेश किया। यह सूचना मिलने पर गंधर्वसेन ने रतनसिंह को पकड़वाकर शूली पर चढ़ाने का आदेश दिया लेकिन जब हीरामन से रतनसिंह के बारे में पता चला तो उसने पद्मावती का विवाह उसके साथ कर दिया।

    यह भी पढ़ेः अपकमिंग पद्मावती लुक इन फैशन, पारंपरिक ज्वैलरी बनी खासा पसंद

    नागमती का वियोग

    -नागमती चितउर पथ हेरा। पिउ जो गए कीन्ह नहिं फेरा।।---राजा रतनसिंह पहले से विवाहित था और उसकी रानी का नाम नागमती था। राजा के लंबे समय तक न लौटने पर वह विरह से व्याकुल हो उठी। राह देखते देखते बारहमासा बीत गया।इस बारहमासा का जायसी से बहुत ही खूबसूरत वर्णन किया है।--चैत बसंता होय धमारी। मोहि लेखे संसार उजारी--।। रतनसेन के विरह में व्याकुल नागमती ने अपनी विरहगाथा रतनसिंह के पास भिजवाई तो रतनसिंह पद्मावती को लेकर चित्तौड़ लौट आया। 

    यह भी पढ़ेःफिल्म पद्मावती ने बढ़ाई रानी पद्मिनी के बारे में जानने की जिज्ञासा

    तांत्रिक राघवचेतन का विश्वासघात

    राजा रतन सिंह के दरबार में राघवचेतन नाम का तांत्रिक था जिसे असत्य भाषण के दंड में राजा ने निष्कासित कर दिया। तब तत्कालीन सुल्तान अलाउद्दीन की सेवा में चला गया। उसने अलाउद्दीन से पद्मावती के सौंदर्य की प्रशंसा की।-- वह पदमिनि चितउर जो आनी । काया कुंदन द्वादसबानी---।। जायसी के वर्णन में तांत्रिक राघवचेतन की ईष्यालु नजरों को भी बखूबी परखा है।--कित हौं रहा काल कर काढा । जाइ धौरहर तर भा ठाढा ॥-कित वह आइ झरोखै झाँकी । नैन कुरँगिनि, चितवनि बाँकी ॥

    यह भी पढ़ेःफिल्म पद्मावती में भंसाली ने नहीं रखा जनभावना का ख्याल : कुमार विश्वास

    रतन सिंह अलाउद्दीन का बंदी

    आखिर जो होना था वहीं हुआ और अलाउद्दीन खिलजी पद्मावती का सौंदर्य वर्णन सुनकर उसको पाने के लिए उत्सुक हो बोल उठा।--हौ जेहि दिवस पदमिनी पावौं । तोहि राघव चितउर बैठावौं ॥--और उसने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया। लंबे समय चित्तौड़ पर घेरा डालने के बाद विफल रहने पर उसने धोखे से रतनसिंह को बंदी बनाया। उसने संधि संदेश भेजा जिसके लिए रतन सिंह  अलाउद्दीन को विदा करने के लिए गढ़ के बाहर निकला और अलाउद्दीन उसे बंदी बनाकर दिल्ली ले गया।

    राजा रतनसिंह की मुक्ति कथा 

    चित्तौड़ में पद्मावती पति को मुक्त कराने के लिए वह अपने सामंतों गोरा तथा बादल के घर गई। गोरा बादल ने रतनसिह को मुक्त कराने के लिए सोलह सौ डोलियाँ सजाईं जिनके भीतर राजपूत सैनिकों को रखा और दिल्ली की ओर चल पड़े। वहां पहुंचकर कहलाया कि पद्मावती अपनी चेरियों के साथ सुल्तान की सेवा में आई है। अंतिम बार अपने पति रतनसेन से मिलने के लिए आज्ञा चाहती है। सुल्तान ने आज्ञा दे दी। डोलियों में बैठे राजपूतों ने रतनसिंह को बेड़ियों से मुक्त कराया और उसे लेकर निकल भागे। सुल्तानी सेना ने पीछा किया किंतु रतन सिंह राजपूत सुरक्षित रूप में चित्तौड़ पहुंच गया। शायद इसीलिए जायसी ने पद्मावती के सौदर्य में ज्ञान का पुट दिया है।-चतुरवेद-मत सब ओहि पाहा। रिग,जजु, सअम अथरबन माहा॥

    यह भी पढ़ेः पद्मावती की रिलीज रोकने को मांगा समर्थन, भारत बंद की चेतावनी

    राजा रतनसिंह की मौत

    इतिहासकार बताते है कि जिस समय राजा रतनसिंह दिल्ली में बंदी था तभी कुंभलनेर के राजा देवपाल ने पद्मावती के पास प्रेम प्रस्ताव किया था। रतन सिंह से मिलने पर जब पदमावती ने उसे यह घटना सुनाई, वह चित्तौड़ से कुंभलनेर जा पहुंचा। वहां उसने देवपाल को द्वंद्व युद्ध के लिए ललकारा। उस युद्ध में वह देवपाल से बुरी तरह आहत हुआ और यद्यपि वह उसको मारकर चित्तौड़ लौटा किंतु देवपाल से मिले घाव से घर पहुंचते ही मृत्यु हो गई। पद्मावती और नागमती ने उसके शव के साथ चितारोहण किया। अलाउद्दीन भी रतनसिंह का पीछा करता हुआ चित्तौड़ पहुंचा लेकिन उसे पद्मावती की चिता की राख मिली।

    चित्र वर्णन---कुंदन कनक कठोर सो अंगा । वह कोमल, रँग पुहुप सुरंगा ॥ 

     

    comedy show banner
    comedy show banner