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    साढ़े चार साल की अनन्या ने नौवीं कक्षा में लिया दाखिला

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Wed, 24 Aug 2016 11:29 AM (IST)

    साढ़े चार वर्ष की अनन्या वर्मा ने नौंवीं कक्षा में दाखिला लिया है। वह अंग्रेजी में माकरे पोलो का पाठ जितने फर्राटे से पढ़ती है, उतना ही हिंदी में रसखान के दोहे पढ़ लेती है।

    लखनऊ (जेएनएन)। साढ़े चार वर्ष की अनन्या वर्मा ने नौंवीं कक्षा में दाखिला लिया है। वह अंग्रेजी में माकरे पोलो का पाठ जितने फर्राटे से पढ़ती है, उतना ही हिंदी में रसखान के दोहे पढ़ लेती है। इस विलक्षण बेटी को ज्ञान की यह थाती परिवार से ही मिली। बड़ी बहन सुषमा वर्मा 16 साल की उम्र में पीएचडी कर रही है, वहीं बड़े भाई शैलेंद्र वर्मा ने सिर्फ 14 साल में बीसीए किया था और अब वह बेंगलुरू में नौकरी कर रहा है। विलक्षण प्रतिभा के धनी इन बचों के पिता तेज बहादुर वर्मा सिर्फ आठवीं पास हैं और मां छाया देवी कभी स्कूल नहीं गईं। तीनों बचों को खेल-खेल में पढ़ाने के तरीके से विलक्षण बना दिया।

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    राजधानी में बरिगवां में रहने वाले तेज बहादुर वर्मा की सबसे छोटी बेटी अनन्या का जन्म एक दिसंबर 2011 को हुआ था। पिता बताते हैं कि सिर्फ ढाई साल की उम्र में श्रीरामचरितमानस और गीता का पाठ करने लगी। उन्होंने कभी पढ़ने-लिखने के लिए अपने बचों की बात नहीं टाली। मूलरूप से रायबरेली के तिलोई में रहने वाले तेज बहादुर कहते हैं कि पत्नी छाया देवी स्कूल भले ही कभी नहीं गईं, मगर बचों को पढ़ाने के लिए उन्होंने ककहरा सीखा। हम घर में बचों के साथ खेल-खेल में पढ़ाई कराते हैं।

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    अगर बैट-बॉल खेल रहे हैं तो इन दोनों का अर्थ व स्पेलिंग याद करा दी। अनन्या की बड़ी बहन सुषमा का जन्म 7 फरवरी, 2000 में हुआ था। सुषमा ने सात वर्ष तीन महीने में हाई स्कूल की पढ़ाई की और 10 वर्ष में इंटरमीडिएट किया। वर्ष 2013 में स्नातक के बाद बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में एमएससी माइक्रोबायोलॉजी में गोल्ड मेडल मिला। इस समय वह पीएचडी कर रही है।

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    बीबीएयू ने सुषमा को दाखिला देने के साथ ही पिता तेज बहादुर वर्मा को सेनीटेशन असिस्टेंट की नौकरी भी दी। भाई बहनों में सबसे बड़े शैलेंद्र ने भी साढ़े नौ वर्ष में हाई स्कूल पास किया था। 14 साल की उम्र में लखनऊ विश्वविद्यालय से बीसीए किया। तेज बहादुर कहते हैं कि हमारे पास शिक्षा का अनमोल रत्न है, जो सबसे बड़ा धन है।

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    जेनेटिक कारण हो सकते हैं
    किंग जार्ज चिकित्सा विवि के प्रो. पीके दलाल कहते हैं कि विलक्षण प्रतिभा वाले इन बचों का आइक्यू 140 से अधिक होना चाहिए। यह दुर्लभ नहीं है। दुनिया में बहुत से ऐसे मामले हैं। ये बचे सुपर इंटेलीजेंट हैं। जेनेटिक कारणों से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।