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    हौसले और हिम्मत का दूसरा नाम है पीवी सिंधू, जानिए उनकी पूरी कहानी

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 19 Aug 2016 10:13 PM (IST)

    पीवी सिंधू का जन्म हैदराबाद में 5 जुलाई 1995 को हुआ। उनके पिता पी. वी. रमण और माता पी. विजया पूर्व वालीबॉल खिलाड़ी थे।

    नई दिल्ली। रियो ओलंपिक 2016 में महिला सिंगल्स के फाइनल में बेशक विश्व नंबर.1 केरोलीना मारिन के खिलाफ पीवी सिंधू हार गईं लेकिन उन्होंने सिल्वर मेडल जीतकर नया इतिहास जरूर रच दिया है। आइए आपको बताते हैं पी वी सिंधू के जीवन और बैडमिंटन में उनके अबतक के सफर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें।

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    सिंधू का प्रारंभिक जीवन

    पीवी सिंधू का जन्म हैदराबाद में 5 जुलाई 1995 को हुआ। उनके पिता पी. वी. रमण और माता पी. विजया पूर्व वालीबॉल खिलाड़ी थे। उनके माता-पिता पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे मगर वर्ष 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना करियर चुना और महज आठ वर्ष की उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। सिंधू ने सबसे पहले सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूर संचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बुनियादी बातों को सीखा। इसके बाद वे पुलेला गोपीचंद के गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गई।

    बैडमिंटन के लिए रोज 120 किलोमीटर का सफर तय करती थीं सिंधू

    सिंधु के पिता का कहना है कि बेटी ने 7-8 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था और बैडमिंटन ही उनकी ज़िंदगी में सब कुछ था। सिंधु के माता-पिता पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को कभी वॉलीबॉल खेलने के लिए मजबूर नहीं किया। रमन्ना का कहना है कि वे बैडमिंटन के प्रति सिंधु की रुचि देखते हुए उसे ट्रेनिंग के लिए घर से 30 किलोमीटर दूर गाचीबौली ले जाते थे। ट्रेनिंग रोज़ सुबह और शाम को होती थी और रोज लगभग 120 किलोमीटर सफर करना पड़ता था।

    सिंधू की खास उपलब्धियां

    21 वर्षीय सिंधू ने सिंधु कोलंबो में आयोजित 2009 सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक विजेता रही हैं। उसके बाद उन्होने वर्ष-2010 में ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में रजत पदक जीता।वे इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंची। 2010 के थॉमस और यूबर कप के दौरान वे भारत की राष्ट्रीय टीम की सदस्य रही। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2013 में मलेशिया ओपन ग्रां प्री में गोल्ड मेडल, बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉज मेडल, मकाउ ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। वर्ष 2013 में उन्होंने भारतीय नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब भी जीता था साथ ही वो भारत की मौजूदा नेशनल चैंपियन भी हैं। वर्ल्ड बैडमिंटन रैंकिंग में वो 10वें नंबर मौजूद हैं।

    पढ़ें- जानिए, ओलंपिक में सिल्वर जीतने वाली सिंधू का अबतक का सफर