जानिए रियो ओलंपिक में कैसा रहा इतिहास रचने वाली पीवी सिंधू का सफर
आज बैडमिंटन फाइनल में हारकर भी पीवी सिंधू ने भारत की झोली में रजत पदक डाला और नया इतिहास रच दिया।
नई दिल्ली। ओलंपिक में एक तरफ जहां भारत की चुनौती लगभग खत्म हो चुकी थी और भारत के कई दिग्गज खिलाड़ी मैच हारकर ओलंपिक से बाहर हो चुके थे। ऐसे में पहले रेस्लिंग में साक्षी मलिक ने भारत के लिए कांस्य पदक जीता और आज बैडमिंटन फाइनल में हारकर भी पीवी सिंधू ने भारत की झोली में रजत पदक डाला और नया इतिहास रच दिया।
ये है इस ओलंपिक में सिंधू का सफर
पी वी सिंधू ने रियो ओलिंपिक में बैडमिंटन के महिला वर्ग में क्वार्टर फाइनल में वर्ल्ड नंबर दो वांग यिहान को 22-20, 21-19 से हराया था, वहीं प्री-क्वार्टरफाइनल में शानदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने ताइपेइ की यिंग जू ताइ को सीधे गेम में हराया। उन्होंने सीधे सेटों 21-13, 21-15 में यिंग को हराकर मैच जीता।
इससे पहले वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो बार कांस्य जीत चुकीं पीवी सिंधु को रविवार को अपना दूसरा ग्रुप मैच जीतने के लिए एक घंटा 11 मिनट तक कठिन संघर्ष करना पड़ा। सिंधु ने पहले गेम में कनाडा की मिशेल ली को कड़ी चुनौती दी और हार मानने से पहले 24 मिनट तक संघर्ष किया। इसके बाद दोनों सेट जीतकर प्री-क्वार्टर फाइनल (राउंड ऑफ-16) में जगह बना ली. सिंधु ने ली को 19-21, 21-15, 21-17 से हराया।
हालांकि पीवी सिंधु ने अपने पहले मैच में शानदार जीत दर्ज की थी और हंगरी की लौरा सारोसी को सीधे गेम में 21-8, 21-9 से हराया था। ओलिंपिक में सिंधु को नौवीं रैंकिंग मिली थी। उन्होंने ग्रुप-एम के अपने पहले मैच में दमदार प्रदर्शन करते हुए पहला गेम 13 मिनट में और दूसरा गेम 14 मिनट में अपने नाम किया था।
गुरूवार को हुए सेमीफाइनल मुकाबले में पी वी सिंधू ने जापान की नोजोमी ओकुहरा को सीधे सेटों में 21-19, 21-11 से हराकर बैडमिंटन फाइनल में जगह बनाई थी। इससे पहले साइना नेहवाल ने 2012 लंदन ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीता था।
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