सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के पड़ोसी होंगे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सपा सुप्रीमो पिता मुलायम सिंह यादव के पड़ोसी भी हो जाएंगे। विक्रमादित्य मार्ग पर दोनों कोठियों को 'जोडऩे' को एक दरवाजा भी बनाया गया है।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जब 'पूर्व मुख्यमंत्री' होंगे, तब उनका नया पता, चार विक्रमादित्य मार्ग। नवरात्र के छठे दिन अखिलेश यादव ने कल नए बंगले में पूजन-अर्चन के साथ यह साफ कर दिया।
इस बंगले में रिहाइश के साथ वह पांच विक्रमादित्य मार्ग बंगले में रहने वाले पिता मुलायम सिंह यादव के पड़ोसी भी हो जाएंगे। विक्रमादित्य मार्ग पर दोनों कोठियों को 'जोडऩे' को एक दरवाजा भी बनाया गया है।
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पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्य संपत्ति विभाग की कोठी आवंटित करने का कानून है, लिहाजा राज्य संपत्ति विभाग ने 2014 में ही 'पांच बंगलिया' के रूप में मशहूर कोठियों में से एक बतौर 'पूर्व मुख्यमंत्री' अखिलेश यादव को आवंटित करने का प्रस्ताव तैयार किया, जिसके बाद इसमें नये सिरे निर्माण शुरू हुआ। अरबियन के साथ अवध वास्तुशैली का बंगला दो वर्ष में बनकर तैयार हुआ है। बंगले का एक द्वार विक्रमादित्य और दूसरा कालिदास मार्ग पर है।
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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कल दोपहर में सांसद पत्नी डिंपल यादव, बच्चे, पिता मुलायम सिंह और चाचा शिवपाल यादव के साथ बंगले में पहुंचे और पूजा अर्चना की। इस मौके पर राज्यसभा सदस्य व बिल्डर संजय सेठ भी मौजूद रहे। करीब 40 मिनट चली पूजा के बाद पुजारी ने बंगले के चारों ओर जल का छिड़काव किया।
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बच्चों ने नये घर में झूला झूला और फिर परिवार घर के अंदर बने रास्ते से पांच, विक्रमादित्य मार्ग वाले बंगले में चला गया। कुछ देर बाद अखिलेश परिवार सहित अपने सरकारी आवास, पांच कालिदास मार्ग पर चले गये और शिवपाल अपने सरकारी आवास। अब साफ है कि जब अखिलेश प्रदेश मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे तब पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर वह इसी बंगले में रहेंगे।
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इससे पहले सुबह 11 बजे शिवपाल यादव सपा मुखिया के घर पहुंचे। 12 बजे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहुंचे। फिर पूरा परिवार अंदर के रास्ते से ही चार विक्रमादित्य मार्ग के बंगले में पहुंचा। पूजा अर्चना के दौरान कई बार बंगले के दरवाजे खुले मगर किसी को अंदर जाने की इजाजत नहीं थी। इस बीच अलबत्ता बाहर कुछ युवा एक दूसरे को मिठाई खिलाने के साथ मुख्यमंत्री के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे।
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इसी बीच वहां पर खड़े बुजुर्ग समाजवादी ने पार्टी में चल रहे संग्राम और परिस्थितियों को लेकर एक शेर पढ़ा-'दर ओ दीवार के बदलेंगे चेहरे, बचपन का वो घर भी पराया लगेगा।'
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