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    हकीकत: जिन लोहिया के नाम पर सपा कर रही राज, उनके परिजन रोटी- रोटी को मोहताज

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Sat, 05 Nov 2016 01:57 PM (IST)

    सपा प्रमुख मुलायम सिंह खुद को लोहियावादी बताते नहीं थकते पर उन्हीं लोहिया के परिवार वाले आज रोटी-रोटी को भी मोहताज हैं। परिजनों के पास रहने लायक घर तक नहीं।

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    लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी आज अपनी 25वीं सालगिरह मना रहा है। इस मौके पर देशभर के समाजवादी दिग्गजों को भी बुलाया गया है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव खुद को लोहियावादी बताते नहीं थकते पर जानकर हैरानी होगी कि लोहिया के परिवार वालों की अखिलेश यादव के सीएम रहते बहुत उपेक्षा हुई है। मुलायम सिंह अपने हर भाषण में डॉ. राम मनोहर लोहिया के समाजवाद की कसमें खाते हैं। समाजवादी पार्टी के अकेले आदर्श लोहिया के आवास पर सपा का कोई बड़ा नेता आज तक नहीं गया। उनके परिजनों से अखिलेश यादव मिले तक नहीं। अाओ जानते हैं डॉ. लोहिया की जन्म स्थली अकबरपुर (यूपी का अंबेडकर नगर जिला) के हालात।

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    लोहिया को पालने वाले के परिजनों से बातचीत में सपा के समाजवाद का सच सामने आ गया। उत्तर प्रदेश में लोहिया के नाम पर कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही है। डॉ. राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना और लोहिया आवास योजना के दौर में खुद लोहिया आवास को जीर्णोद्धार की जरूरत है। इस जर्जर आवास तक जाने के लिए भी बजबजाती नाली और टूटी फूटी गलियों को पार कर ना होता है।

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    मां को खोने पर इसी परिवार ने लोहिया को पाला
    अयोध्या से करीब 60 किलोमीटर दूर अकबरपुर के शहजादपुर मोहल्ले में 23 मार्च 1910 को लोहिया का जन्म हुआ था। करीब दो साल की उम्र में ही उनकी माता चंदा देवी का देहांत हो गया। इसके बाद उन्हें उनके परिवार की नाइन सरयूदेर्इ ने पाला। अपने बेटे रामानंद की तरह ही राम मनोहर को भी अपना दूध पिलाकर बड़ा किया। यहीं रहकर लोहिया ने शुरुआती पढ़ाई भी की।

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    घर के पास तक आकर अखिलेश ने मिलने से किया किनारा
    लोहिया की यशोदा मां सरयूदेई के परपोते विनोद कुमार शर्मा के मुताबिक अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव अकबरपुर आते हैं लेकिन कभी लोहिया आवास झांकने तक नहीं आए। यहां से महज दो किलोमीटर दूर ही अखिलेश आए थे। उन्हें फैक्स भेजकर यहां के बारे में बताया भी गया था। इसके बावजूद वह यहां नहीं आए. जबकि सीएम को लोग बेहद संवेदनशील नेता मानते हैं।

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    लोहिया के परिजनों से मिले भी नहीं अखिलेश
    शर्मा ने बताया कि जब वह अपने परिवार की तकलीफ बताने के लिए लखनऊ जाकर अखिलेश यादव से मिलना चाहा तो कामयाब नहीं हो पाए। सपा में उन्हें जिला सचिव का पद दे रखा है। इसके बावजूद स्थानीय छुटभैये नेता उन्हें मंच पर चढ़ने से रोक देते हैं। मोहल्ले वालों का ताना सुनकर भी शर्मा से सपा नहीं छोड़ा जा सकता। क्योंकि लोहिया न सिर्फ अपने हैं बल्कि उनके आदर्श भी हैं।
    परिवार के पढ़े-लिखे लोग भी बेरोजगार
    सरयूदेई के पोते रामचंद्र ठाकुर ने समाजवादी पार्टी पर लोहिया का नाम बेचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार रहने पर सपा ने लोहिया के परिवार के लिए कुछ कुछ नहीं किया है। परिजनों में जो पढ़-लिख भी गए उन्हें भी बेरोजगार बैठना पड़ रहा है। परिवार की एक महिला सदस्य प्राइमरी स्कूल में मिड-डे-मील का खाना बनाती हैं।
    परिवारवाद और जातिवाद ने भुला दिया समाजवाद
    राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सपा अब लोहिया के विचारों पर चलने वाली पार्टी नहीं रही है। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्स के निदेशक अनिल कुमार वर्मा कहते हैं कि लोहिया के अलावा समाजवादी पार्टी का कोई आदर्श नहीं है। लोहिया के परिजनों की लगातार उपेक्षा से लगता है कि अब कोई भावानात्मक लगाव नहीं रहा है। अब समाजवादी पार्टी में समाजवाद की जगह परिवारवाद और जातिवाद कायम हो गया है। लोहियाजी ने जाति तोड़ो आंदोलन चलाया था। इसे भी सब भूल गए हैं।
    तीन सरकारें बदली, गांव के हालात जस के तस
    मुलायम सिंह यादव के शासनकाल साल 2006 में गांव में लोहिया भवन का शिलान्यास किया था. उनके बाद मायावती और फिर अखिलेश यादव ने सरकार चलाया, लेकिन लोहिया भवन अब तक हैंडओवर नहीं हो पाया।जनता के लिए खोला नहीं जा सका। भवन में नेताओं के आराम के लिए कमरों में एसी लगा दिए गए हैं। वहीं पुस्तकालय अब भी महज एक किताब की बाट जोह रहा है।

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    सपा ने मानी गलती, भाजपा ने किया वादा
    सपा प्रवक्ता जूही सिंह ने इस मामले में कहा कि कैसे इतनी बड़ी अनदेखी हो गई. इसे समझने की जरूरत है. सीएम अखिलेश यादव बहुत संवदेनशील इंसान हैं और रिक्शे वाले को भी आवास दिया है। गलती की निशानदेही की जरूरत है। जल्द ही इस मामले पर कुछ ठोस किया जाएगा। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार आने पर ऐसे सभी महापुरुषों के परिवारों का ख्याल रखा जाएगा।