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    छठ के बहाने नीतीश ने किया महागठबंधन से किनारा, त्यागी को भी बुलाया

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Sat, 05 Nov 2016 07:06 PM (IST)

    सपा के रजत जयंती में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छठ पूजन के बहाने नहीं आ रहे है और प्रवक्ता केसी त्यागी को भी पटना बुला लिया।

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    छठ के बहाने नीतीश ने किया महागठबंधन से किनारा, त्यागी को भी बुलाया

    लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। रजत जयंती समारोह के जरिये महागठबंधन बनाने की समाजवादी पार्टी की कोशिशों पर कुनबे की आंतरिक कलह भारी पड़ती दिख रही है। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार का छठ पूजन के बहाने आने से इन्कार को कलह से जोड़कर देखा जा रहा है। नीतीश खुद भी नहीं आ रहे है और महासचिव व प्रवक्ता केसी त्यागी को भी शनिवार को पटना बुला लिया। हालांकि जदयू प्रतिनिधि के तौर पर शरद यादव समारोह में भाग लेंगे परंतु मुलायम सिंह यादव द्वारा फोन पर न्यौता देने के बाद भी नीतीश कुमार का न आना चर्चा का मुद्दा बना है।

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    जानकारों का कहना है कि नीतीश का समारोह से दूरी बनाने के पीछे सपा में कलह भी एक अहम वजह है। बिहार चुनाव के दौरान महागठबंधन प्रयोग के अनुभव को ध्यान रखते हुए ही नीतीश जल्दबाजी में कदम नहीं उठाना चाहते है। आंतरिक विवादों में उलझी सपा में स्थिति सामान्य होने के बाद ही नीतीश महागठबंधन को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे। बता दे कि यूपी में बिहार की तर्ज पर महागठबंधन के प्रश्न पर नीतीश कुमार स्पष्ट कर चुके है कि बसपा को किनारे करके बिहार जैसा प्रयोग दूर की कौड़ी होगी।

    अजित व चौटाला के बीच फासले

    जाट राजनीति में राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया अजित सिंह और चौटाला परिवार के बीच की तनातनी किसी से छिपी नहीं है। रजत जयंती समारोह में अजित सिंह का आना तय है और वहां उनके साथ में अभय सिंह चौटाला भी मंच साझा करेंगे। अजित और चौटाला को मुलायम सिंह यादव अपने मंच पर भले ही एक दिखाएं परंतु उन्हें सियासी गठजोड़ में बांधना आसान नहीं होगा।

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    कांग्रेस की लगी निगाहें

    समारोह में कांग्रेस भले ही शामिल नहीं हो रही है परंतु नेतृत्व की निगाहें समाजवादियों के जमावड़े पर लगी है। प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर का कहना है कि गठबंधन के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी है क्योंकि सभी पार्टियां अपने तरीके से तैयारियों में लगी हैं। प्रदेश में अन्य छोटे दलों की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रालोद पिछले चुनाव में कांग्रेस के साथ रहा था और अलग नहीं हुआ।

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    पश्चिमी उप्र के हालात भी अहम

    लोहिया व चरण सिंह के अनुयायियों की एकजुटता की कोशिशें सिरे चढऩे में पश्चिमी उप्र के हालात की अहम भूमिका होगी। बता दें कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद से पश्चिमी उप्र में मुस्लिम जाट एकजुटता पूरी तरह से बिखरी हुई है। ऐसे में सपा व रालोद की निकटता को बसपा और भाजपा अपने लाभ का गठजोड़ मान रही है। रालोद के भीतर भी एक खेमा सपा की बजाय भाजपा से चुनावी दोस्ती चाहता है। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता रामजेठमलानी भीसमारोह में शिरकत करने लखनऊ पहुंच गए हैं।

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    मुलायम के आवास पर गुफ्तगू

    रजत जयंती समारोह में शामिल होने आ रहे अन्य दलों के नेताओं के सम्मान में मुलायम सिंह ने शनिवार को अपने आवास पर स्वागत भोज का आयोजन किया है। समारोह से पहले आहूत इस भोज में सियासी गुफ्तगू होगी।

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