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    इटावा सफारी में शेरनी ग्रीष्मा ने दम तोड़ा, अब तक दस की मौत

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Wed, 09 Nov 2016 11:19 AM (IST)

    इटावा लॉयन सफारी की आबो-हवा भारतीय शेरों के लिए अनुकूल नहीं है सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट होने के कारण यहां के बारे में वन विभाग के अधिकारी -कर्मचारी कुछ भी कहने से लगातार बच रहे हैं।

    इटावा (जेएनएन)। समाजवादी परिवार के संग्राम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट भी प्रभावित होने लगा है। इटावा में लॉयन सफारी में आज शेरनी ग्रीष्मा ने भी लंबी बीमारी के बाद दम तोड़ दिया।

    इटावा लॉयन सफारी की आबो-हवा भारतीय शेरों के लिए जरा भी अनुकूल नहीं है। इसके बाद भी मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट होने के कारण यहां के बारे में वन विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारी कुछ भी कहने से लगातार बच रहे हैं। इसी के कारण अब तक यहां पर पांच शेर तथा पांच शावकों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञ कहते है कि इटावा में लायन सफारी के लिए बिलकुल अनुकूल वातावरण नहीं है।

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    पढ़ें- 10 हजार रुपये रोज खर्च से सुधर रही शेरनी ग्रीष्मा की हालत

    मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट इटावा के लायन सफारी को आज एक और झटका लगा है। यहां पर शेरनी ग्रीष्मा ने भी दम तोड़ दिया है। ग्रीष्मा की पिछले दिनों तबीयत खराब हो गई थी। लायन सफारी में ग्रीष्मा नाम की शेरनी & जुलाई से कैनाइन डिस्टेंपर नामक संक्रामक बीमारी से पीडि़त थी। इटावा में मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट लॉयन सफारी में यह 10वें शेर की मौत है। इन सभी को गुजरात के गिर के जंगल से यहां लाया गया था। ग्रीष्मा की मौत के साथ ही लॉयन सफारी प्रशासन में खलबली मच गया। शासन को ग्रीष्मा की मौत की जानकारी भेजी जा रही है।

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    ग्रीष्मा 3 जुलाई से थी बीमार

    लायन सफारी के निदेशक डॉ. संजय श्रीवास्तव ने बताया कि आज दिन में करीब 12.35 पर ग्रीष्मा नामक शेरनी ने दम तोड दिया है। उसे बचाने की भरसक कोशिश नाकाम रही है। ग्रीष्मा 3जुलाई से कैनाइन डिस्टेंपर नामक बीमारी से ग्रसित थी। लाख जतन के बाद भी उसकी हालत में कोई भी सुधार नहीं हुआ। अब तो उसने पानी भी पीना बंद कर दिया है। इटावा सफारी के निदेशक डॉ. संजय श्रीवास्तव के मुताबिक सलाहकार डा.भुवा के नेतृत्व में डा.अरविंद त्रिपाठी, डा.गौरव श्रीवास्तव व अमित ओड शेरनी का इलाज कर रहे थे।

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    इलाज में पूरी तत्परता बरती जा रही थी। ठीक करने के लिए होम्योपैथी, एलोपैथी व आयुर्वेदिक तीनों ही पद्धतियों से उपचार दिया जा रहा था ताकि उसके इम्युन सिस्टम को ठीक किया जा सके, लेकिन उसकी सेहत दिन पर दिन गिरती जा रही थी। इधर कुछ दिनों से ग्रीष्मा ने खाना-पीना भी बंद कर दिया था।

    शेरनी ग्रीष्मा के उपचार में सलाह देने के लिए इंडियन वेटनरी इंस्टीट्यूट बरेली (आइवीआरआइ) की टीम ने भी पिछले दिनों आई थी पर उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।

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    इलाज के लिए विदेश से भी मांगी गई थी मदद

    लॉयन सफारी में फैली केनाइन डिस्टेंपर बीमारी की वैक्सीन के लिए विदेशी विशेषज्ञों व जू से भी संपर्क किया गया। हवा में फैलने वाली इस बीमारी से अब तक चार शेरों की मौत हो चुकी है। शेरनी ग्रीष्मा के इलाज के लिए चिली के सेंटियागो नेशनल पार्क व अमेरिका के स्मिथ सोनियन जू के अलावा लंदन के डाक्टर जॉन क्रेकनेल से भी केनाइन डिस्टेंपर के वैक्सीनेशन को लेकर डाक्टरों ने संपर्क किया गया था। इंडियन वेटनरी इंस्टीट्यूट की टीम ने इस बीमारी के टीके को लेकर डाक्टरों से विचार विमर्श किया था। दिक्कत यह आ रही है कि कैनाइन डिस्टेंपर की वैक्सीन को भारत में अभी तक मान्यता नहीं मिली है। इस पर भी प्रदेश व केंद्र सरकार से पत्राचार किया गया था।

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    गुजरात के शेरों को रास नहीं आ रही आबोहवा

    गुजरात के शेरों को यूपी की आबोहवा रास नहीं आई है। इटावा लायन सफारी में अब तक 10 शेरों की मौत हो चुकी है। इससे पहले शेरनी लक्ष्मी व तपस्या के साथ शेर विष्णु और कुबेर ने दम तोड़ा था। इनके अलावा यहां पर पांच शावकों की मौत हो चुकी है। आज एक और शेरनी ग्रीष्मा की भी मौत हो गई। लायन सफारी में गुजरात के गिर के जंगल से कुल 11 शेर लाए गए थे।

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    अब तक सफारी में 10 मौतें

    इटावा सफारी पार्क में129 दिन से बीमारी से जूझ रही शेरनी ग्रीष्मा 08 नवंबर 2016 को मौत से हार गई। केनाइन डिस्टेंपर बीमारी से लड़ते-लड़ते उसकी मौत हो गई। इटावा सफारी में अब तक पांच शेर-शेरनियों व पांच शावकों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे पहले हैदराबाद से लाये गये शेर विष्णु व शेरनी लक्ष्मी की मौत हुई थी। शेरनी लक्ष्मी ने 30 सितंबर 2014 को जबकि उसके 17 दिन बाद शेर विष्णु ने दम तोड़ा था। उसके 10 माह बाद शेरनी हीर ने दो शावकों को जन्म दिया था जो पैदा होने के 24 घंटे के भीतर ही मर गये थे। शेरनी ग्रीष्मा ने 21 जुलाई 2015 को तीन शावकों को जन्म दिया था, जिसमें कोई भी नहीं बच सका। 28 दिसंबर 2015 को शेरनी तपस्या ने दम तोड़ दिया जबकि दो जून 2016 को शेर कुबेर की जान चली गई थी। अब ग्रीष्मा भी चल वसी। शेरनी तपस्या की मौत बबेशिया नाम की बीमारी हुई जबकि शेष चार शेर शेरनी केनाइन डिस्टेंपर की बीमारी से मरे।

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