जो हिंदुस्तानियत को बचाए, उसके हाथ मजबूत करें: प्रो. वसीम बरेलवी
मशहूर शायर प्रो. वसीम बरेलवी ने कहा कि मेरी साफ मान्यता है कि चाहे क्षेत्र कोई भी हो, जो लोग हिंदुस्तानियत को बचाने में लगे हुए हैं, उनका समर्थन किया जाना चाहिए।
राज कौशिक, गाजियाबाद। मशहूर शायर प्रो. वसीम बरेलवी ने कहा कि मेरी साफ मान्यता है कि चाहे क्षेत्र कोई भी हो, जो लोग हिंदुस्तानियत को बचाने में लगे हुए हैं, उनका समर्थन किया जाना चाहिए, उनके हाथ मजबूत किए जाने चाहिए। मैं खाली हिंदुस्तान की बात नहीं कर रहा, उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण हिंदुस्तानियत है। हिंदुस्तानियत यानि हिंदुस्तान की संस्कृति, सभ्यता और सोच। जो हिंदुस्तानियत की बुनियाद से खेलने की कोशिश कर रहे हों, उनसे सावधान रहने की जरूरत है। हम सामाजिक तौर पर मजबूत रहें तो राजनीति की एक नहीं चल पाएगी।
कल शाम दैनिक जागरण के कार्यालय आये शायर वसीम बरेली ने समाचार लेखन व संपादन आदि की जानकारी ली। इसके बाद नेहरू नगर में दैनिक जागरण के रूबरू कार्यक्रम में गणमान्य लोगों और काव्य प्रेमियों से मिले। उन्होंने कहा कि जितनी भी नफरतें हैं, अगर उनका कुछ भी समाधान है तो वो सिर्फ और सिर्फ मोहब्बत है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में साहित्यिक गतिविधियां बढऩा साहित्य और समाज दोनों के लिए अच्छा है।
उन्होंने कहा कि रचनाकारों को अपनी रचना के माध्यम से समाज की सभी खाइयों को पाटने की कोशिश करनी चाहिए और अपने व्यवहार से भी। कहा कि 500 और 1000 के नोटबंदी का सरकार ने बड़ा फैसला लिया है, जिसके आने वाले समय में अच्छे परिणाम आएंगे। मगर मुश्किल ये है कि लोगों को नए नोट या पुराने छोटे नोट पर्याप्त संख्या में नहीं मिल पा रहे। शायद प्लानिंग की कमी रही है।
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