बाहरी राज्यों के लोगों को नया सिम लेने के लिए देना होगा लोकल रेफरेंस
आधार केवल पहचान का प्रमाण है, जिसमें व्यक्ति का नाम, उसकी उम्र और लिंग के बारे में जानकारी दी होती है, लेकिन वह पता या निवास का प्रमाण नहीं होता है
नई दिल्ली (जेएनएन)। एक आधार आईडी धारक को अपने होम सर्कल के बाहर सिम कार्ड खरीदने के दौरान लोकल रेफरेंस देना होगा। इसमें वहां के रहने वाले लोकल रेफरेंस का नाम, पता और कॉन्टेक्ट नंबर देना होगा। दूरसंचार विभाग ने सभी दूरसंचार कंपनियों को जारी किए गए नए निर्देश में यह जानकारी दी है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति दिल्ली (सर्कल) का आधार कार्ड धारक है, तो उसे मुंबई (सर्कल) में नया सिम खरीदते समय मुंबई (सर्कल) के किसी व्यक्ति का नाम, पता और कॉन्टेक्ट नंबर देना होगा। ऐसा इसलिए जरूरी किया गया है क्योंकि आधार केवल पहचान का प्रमाण है, जिसमें व्यक्ति का नाम, उसकी उम्र और लिंग के बारे में जानकारी दी होती है, लेकिन वह पता या निवास का प्रमाण नहीं होता है।
दूरसंचार विभाग के निर्देश में कहा गया है कि आउट स्टेशन कस्टमर्स को नया सिम जारी कराने के लिए लोकल रेफरेंस की जरूरत होती है, जिनका आधार कार्ड किसी दूसरे लाइसेंस्ड सर्विस एरिया में बना हुआ है। आउट स्टेशन ग्राहक को सबसे पहले स्थानीय पता मुहैया कराना होगा, जहां वह सिम हासिल करना चाहता है। सेल्स एजेंट द्वारा डिजिटल कस्टमर एक्विजिशन फार्म (सीएएफ) में इसे दर्ज किया जाएगा।
ईकेवायसी की प्रक्रिया और नए सिम कार्ड जारी करने से पहले सीएएफ में लोकल रेफरेंस का पता, नाम और कॉन्टेक्ट नंबर दर्ज किया जाएगा। गौरतलब है कि सीएएफ फॉर्म पेपरलेस है और ई-केवाईसी प्रक्रिया के दौरान डिजिटल फॉर्मेट में बायोमेट्रिक पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) टर्मिनल में दर्ज किया जाता है।
कस्टमर को सिम कार्ड जारी करने से पहले, एजेंट को लोकल कॉन्टेक्ट को फोन करके कस्टमर के निवास की पुष्टि करनी होगी। इसके बाद ही ईकेवाईसी प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। पीओएस टर्मिनल बॉयोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन के जरिये ग्राहक की पहचान जैसे उसके नाम, आयु और लिंग की सत्यता की जांच करेगा और सीएएफ फॉर्म में इसे ग्राहक के सिग्नेचर के रूप में माना जाएगा।
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