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दानघाटी मंदिर ने खोला सेवा का रास्ता

दानघाटी मंदिर के प्रबंध तंत्र ने सैकड़ों धार्मिक संस्थानों और सरकार को आईना दिखा दिया। मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं की मदद से गोवर्धन का चेहरा बदलने का निर्णय लिया है। यही नहीं धर्म को सेवा क्षेत्र में उतारने का भी बड़ा प्रयास किया है। योजना के तहत यहां 50 बेड का धर्मार्थ अस्पताल बनेगा। श्री गिरिराज धरण के द

By Edited By: Published: Tue, 11 Feb 2014 10:07 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2014 11:57 AM (IST)
दानघाटी मंदिर ने खोला सेवा का रास्ता

गोवर्धन, जागरण संवाददाता। दानघाटी मंदिर के प्रबंध तंत्र ने सैकड़ों धार्मिक संस्थानों और सरकार को आईना दिखा दिया। मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं की मदद से गोवर्धन का चेहरा बदलने का निर्णय लिया है। यही नहीं धर्म को सेवा क्षेत्र में उतारने का भी बड़ा प्रयास किया है। योजना के तहत यहां 50 बेड का धर्मार्थ अस्पताल बनेगा। श्री गिरिराज धरण के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए भी 1500 करोड़ की योजनाओं पर भी काम कराने का प्रस्ताव आगे बढ़ रहा है।

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सरकारी वादों के बावजूद गोवर्धन का विकास नहीं हो पा रहा है। ऐसे में मंदिर प्रबंधन ने यहां प्रभु के दर्शन के लिए आने वाले कुछ अरबपति श्रद्धालुओं से बात कर गोवर्धन के विकास के लिए 15 अरब की लागत से विभिन्न प्रोजेक्टों की योजना तैयार की है। इसमें 50 शैया के अस्पताल का निर्माण भी शामिल है। प्रबंधक राधा चरण कौशिक के सपनों की योजनाएं परवान चढ़ीं, तो गोवर्धन विश्व पटल पर छा सकता है। अस्पताल की नींव रविवार को हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश संजय मिश्र एवं न्यायाधीश रविंद्र सिंह ने रखी। कौशिक के अनुसार अस्पताल में मरीजों को सस्ता इलाज मुहैया होगा ही, युवकों को रोजगार भी मिलेगा।

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ये भी योजनाएं

योजना पर पूरी तरह अमल हुआ, तो गिरिराज शिलाओं के चारों ओर यानि सात कोसीय परिक्रमा मार्ग में गोवर्धन की अनुपम छटा नजर आएगी। खास बात यह है कि प्रोजेक्ट से इस धार्मिक नगरी की पौराणिकता पर लेशमात्र भी आंच नहीं आएगी।

1. श्रद्धालु टॉय ट्रेन में बैठकर गिरिराज प्रभु की सप्तकोसीय परिक्रमा करेंगे।

2. परिक्रमा मार्ग में लगेंगे इलेक्ट्रोनिक डिस्प्ले। डिस्प्ले ब्रजभूमि की पवित्र स्थलियों का बखान करेंगे।

3. सघन वृक्षावली से सुसज्जित होंगे बगीचे।

4. ऊंचे मॉल आधुनिकता का यशोगान करते नजर आएंगे।

5. बंदर, गाय आदि को खाद्य सामग्री डालने के लिए निश्चित स्थान तय होगा।

मंदिर प्रबंधक राधाचरण कौशिक के अनुसार 15 अरब के सपने को यथार्थ स्वरूप देने के लिए कई उद्योगपतियों से वार्ता हो चुकी है।

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