Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मेरो तो गिरधर गोपाल.

    By Edited By:
    Updated: Thu, 29 Aug 2013 04:19 PM (IST)

    भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान हो और मीरा का उल्लेख न हो, ऐसा हो नहीं सकता। भगवान के जन्मोत्सव पर आश्रय सदन की विधवा-वृद्धाओं को देख कर ऐसा ही लगा, जैसे हर एक में मीरा समा गई हो। उन्होंने दिनभर भजन-कीर्तन करते हुए जन्माष्टमी मनाई। द्वापर काल में राजपाट घर-द्वार छोड़ श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर वृंदावन आ पहुंची मीरा ने

    वृंदावन। भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान हो और मीरा का उल्लेख न हो, ऐसा हो नहीं सकता। भगवान के जन्मोत्सव पर आश्रय सदन की विधवा-वृद्धाओं को देख कर ऐसा ही लगा, जैसे हर एक में मीरा समा गई हो। उन्होंने दिनभर भजन-कीर्तन करते हुए जन्माष्टमी मनाई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    द्वापर काल में राजपाट घर-द्वार छोड़ श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन होकर वृंदावन आ पहुंची मीरा ने विष का प्याला भी ठाकुरजी का प्रसाद समझकर पी लिया था। फिर भी उन्हें मौत छू न सकी। ऐसी भक्ति की मिसाल जगाने वाली मीराबाई जैसी ही कुछ भावनाएं वृंदावन में कृष्ण भक्ति कर जीवन बिता रहीं हजारों विधवा और वृद्धाओं की हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर यह सब भी अपने आराध्य का जन्मदिन मनाने में जुटी रहीं। सुबह से ही मंजीरा, मृदंग लिए हजारों 'मीरा' कृष्ण की आराधना में जुट गईं। चैतन्य विहार स्थित आश्रय सदन में भगवान की आराधना कर जीवन बिता रहीं हजारों विधवा-वृद्धाओं ने व्रत रखकर पूरे दिन भगवान के नाम का जप किया। रात को 12 बजे ठाकुरजी का पंचामृत से अभिषेक किया। आपस में श्रीकृष्ण के जन्म की बधाई दी और फिर शुरू हुआ नाच-गाना। कुछ ऐसा ही नजारा ज्ञानगुदड़ी स्थित पुराना पागल बाबा मंदिर के आश्रय सदन में देखा गया। वहां ठाकुरजी की आकर्षक झांकी खुद वृद्ध-विधवा महिलाओं ने सजाई। व्रत रखकर अपने आराध्य का ध्यान किया और जन्म होने के बाद ही प्रसाद ग्रहण किया।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर