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    किसान ने बदल दी लोगों की सोच, 'घास' से बना अमीर

    By Ankit KumarEdited By:
    Updated: Sun, 02 Apr 2017 12:13 PM (IST)

    घाटे में चल रहे एक किसान ने लोगों के सामने बड़ी मिसाल पेश की। उसने अपने सोच और नजरिये से खेती को मुनाफे के सौदे में तब्दील कर दिया।

    किसान ने बदल दी लोगों की सोच, 'घास' से बना अमीर

    लुधियाना, [आशा मेहता]। राज्य में बहुत से किसान खेती को घाटे का सौदा मानकर इसे छोड़ रहे हैं, लेकिन लुधियाना के एक किसान ने अपनी सकारात्मक सोच के बूते घाटे में चल रही खेती को मुनाफे में बदल दिया।

    रायकोट के गांव अब्बूवाल के मझोले किसान राजिंदर सिंह धालीवाल ने सबसे पहले परंपरागत खेती का मोह छोड़ा और घास उगाई। यहीं से उनकी किस्मत बदल गई। घाटे में रहने वाला यह किसान अब लखपति बन चुका है। राजिंदर सिंह धालीवाल वर्ष 1999 से गेहूं-धान के साथ फूलों की खेती कर रहे थे। खेतों में कड़ी मेहनत व खून पसीना बहाने के बाद भी उन्हें लाभ नहीं मिल रहा था। एक दिन वह अपने किसी रिश्तेदार के घर गए। वहां देखा कि रिश्तेदार अपने घर के बगीचे को खूबसूरत बनाने के लिए खरीद कर मंगवाई गई घास लगवा रहा था।

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    पीएयू में ली ट्रेनिंग

    घास किसी प्राइवेट नर्सरी से काफी महंगे दामों पर मंगवाई थी। यह देखकर राजिंदर काफी हैरान हुए। उसी दिन ठान लिया कि वह भी अब घास उगाएंगे। राजिंदर 2006 में पीएयू के फ्लोरीकल्चर एंड लैंड स्केपिंग डिपार्टमेंट में गए। वहां से घास उगाने की ट्रेनिंग ली और एक एकड़ में घरों व व्यावसायिक केंद्रों में सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाली उत्तम क्वालिटी की घास उगाई।

    पहले साल कमाया 50 हजार मुनाफा

    पहले ही वर्ष पचास हजार रुपये का मुनाफा हुआ, तो हौंसला और भी बढ़ गया। उन्होंने घास की खेती के दायरे को बढ़ाया और अपने पांच एकड़ खेतों के अलावा बारह एकड़ खेत ठेके पर लेकर सात तरह की घास उगानी शुरू कर दी। उनके द्वारा उगाई जाने वाली घास की प्रदेशभर में काफी डिमांड रहती है।

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    वेबसाइट पर मार्केटिंग जारी

    वेबसाइट के जरिए वह घास की मार्केटिंग भी खुद करते हैं। उनके इस प्रयास को देखकर न सिर्फ गांव के लोग इनकी प्रशंसा कर रहे हैं, बल्कि इलाके के कई व्यावसायी और नौकरी करने वालों ने भी घास की खेती को अपना आर्थिक आधार बना लिया है। बकौल राजिंदर तब विरोध करने वाले अब उनकी सराहना करते हैं, क्योंकि घास उगाकर वह प्रति एकड़ सत्तर से नब्बे हजार रुपये बचा लेते हैं।

    बोले-किस्मत बदलने को बदलनी पड़ेगी सोच

    राजिंदर कहते हैं कि किस्मत बदलने के लिए सोच बदलनी पड़ती है। लकीर के फकीर बने रहने से आज के वक्त में बात नहीं बनने वाली। आज जब लोग खेती को घाटे का सौदा मानकर इसे छोड़ रहे हैं। किसानों को चाहिए कि परंपरागत खेती के अलावा मुनफेदार खेती में हाथ आजमाना चाहिए। अबर कुछ नया किया जाए तो अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

    मुख्यमंत्री पुरस्कार सहित मिले कई सम्मान

    राजिंदर सिंह को उनके अलग प्रयास के कई सम्मान भी मिल चुके हैं। बीते माह 24 मार्च को उन्हें पीएयू में आयोजित राज्य स्तरीय किसान मेले में मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इससे पहले उन्हें बोरलाग फार्मर्स एसो. फॉर साउथ एशिया, न्यू फील्ड आस्ट्रेलिया फामिर्ंग स्कालर्स सहित कई संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं।

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