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    कैप्टन ने खोले खुशवंत सिंह के राज, खाने पर देर से पहुंचे तो सीएम को लौटना पड़ा था वापस

    By Ankit KumarEdited By:
    Updated: Tue, 08 Aug 2017 11:44 AM (IST)

    कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक किताब के विवेचन के दौरान खुशवंत सिंह के बारे में कई अहम बातें बताई। उन्होंने कहा कि खुशवंत सिंह ने ऑपरेशन ब्लू स्टार में कड़ ...और पढ़ें

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    कैप्टन ने खोले खुशवंत सिंह के राज, खाने पर देर से पहुंचे तो सीएम को लौटना पड़ा था वापस

     जेएनएन, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली में 'खुशवंत सिंह: इन विज्डम एंड जेस्ट' किताब के विमोचन के मौके पर कहा कि प्रसिद्ध लेखक स्वर्गीय खुशवंत सिंह ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान पंजाब में उत्पन्न तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई थी।

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    पुरानी यादों को ताजा करते हुए कैप्टन ने कहा कि उस समय कड़वाहट की एक सामान्य भावना प्रबल थी। इस कड़वाहट को कम करने के लिए एक टीम नियुक्त की गई। खुशवंत सिंह इसके प्रमुख सदस्य थे। खुशवंत सिंह अपने पीछे एक महत्वपूर्ण विरासत छोड़ गए है। जो सच में विश्वास करने वालों के संबंधित है। उन्होंने जो लिखा वह सच था। उस महान लेखक व उनकी किताबें लोगों को दिलों में हमेशा ही जिंदा रहेंगी।

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    आपातकाल और नसबंदी का खुशवंत सिंह के समर्थन के संबंध में कैप्टन ने कहा कि उस समय अपनाई गई विधियों से कोई भी सहमत या असहमत हो सकता है। तथ्य यह है कि आबादी गंभीर चिंता का विषय है और जरूरत है कि इससे कैसे निपटा जाए। खुशवंत एक ऐसे आदमी थे जो अपने दिल से सीधे बात करते थे।

    कैप्टन के स्वागत से किया था इन्कार

    इस मौके पर योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी भी मौजूद थे। उनकी मौजूदगी में अमरिंदर ने कहा कि पुस्तक में खुशवंत सिंह के साथ पूर्ण न्याय किया गया है। उन्हें याद करते हुए कहा कि पहली बार मुख्यमंत्री बनने के वे बाद खुशवंत के घर गए और वापस आ गए, क्योंकि उन्हें डेढ़ घंटे तक की देर हो गई थी। उस समय खुशवंत ने उनका स्वागत करने से इन्कार कर दिया, क्योंकि कैप्टन खाने के निर्धारित समय से बहुत देर से पहुंचे थे।

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    धर्म में विश्वास रखते थे, कर्मकांडों के विरोधी थे

    मुख्यमंत्री ने कहा कि वह खुशवंत सिंह के ईश्वर के अस्तित्व में संदेह करने वाले विचारों से सहमत नहीं हैं और उनको विश्वास है कि यह सिर्फ उनके बारे में सार्वजनिक धारणा थी। उन्होंने कहा कि वह सिख धार्मिक पाठ 'जपजी साहिब' के बड़े जानकार थे। कैप्टन ने कहा कि वास्तव में खुशवंत सिंह ने इसका सबसे बढ़िया अनुवाद किया था। उन्होंने किताब में से नुक्ते उठा कर बताया कि वह रात को बंगला साहिब गुरुद्वारा जाते थे। वह धर्म में विश्वास रखते थे, लेकिन कर्मकांडों के विरोधी थे।