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खुश रहने का नाम जिंदगी

टीवी और फिल्मों में अदाकारी करने के साथ ही कुशल क्लासिकल नृत्यांगना हैं किशोरी शहाने। अब वे नजर आ रही हैं लाइफ ओके के नए शो 'नागार्जुन एक योद्घा' और मनसा देवी में....

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 14 Jun 2016 02:43 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jun 2016 02:50 PM (IST)
खुश रहने का नाम जिंदगी

इतने सालों से आप अपने काम से हरदम अपने दर्शकों के सामने रहती हैं, आपकी फिटनेस का सीके्रट क्या है?

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सीक्रेट तो कोई नहीं। मैं बस अपनी फिटनेस का पूरा ध्यान रखती हूं। नियमित तौर पर एक्सरसाइज करती हूं। खाने-पीने की चीजों पर कंट्रोल रखने के साथ ही हरदम खुश रहने की कोशिश करती हूं। मेरे लिए खुश रहना ही जिंदगी है। कोशिश करती हूं कि घर का बना खाना खाऊं, साथ ही मैं रात को हल्का खाना ही खाती हूं। आप कॉलेज में ब्यूटी पैजेंट विनर और वर्ष 2003 में ब्यूटी पैजेंट की रनरअप रह चुकी हैं। अपनी महिला प्रशंसकों को कोई टिप देना चाहेंगी?

मैं बस यह कहना चाहती हूं कि पूरी डेडिकेशन से हर काम करिए। फिर कोई रुकावट आपके आगे नहीं आ सकती। अगर आप खुद से प्यार करती हैं तो वर्कआउट करिए। घर पर ही योगा करिए। साथ ही तली- भुनी चीजों को अवॉइड करिए। आप भले ही घी खाएं पर जो भी खाएं वह हेल्दी होना चाहिए। फिर आपको भी किसी के टिप्स की जरूरत नहीं पड़ेगी।

कैसा लग रहा है यहां आकर? कानपुर आना हुआ है कभी?

मैं यहां पहले कभी नहीं आई हूं। पर मुझे यहां आकर काफी अच्छा लगा। इस शहर में तो अब हर चीज मिलने लगी है। जो चीज आपको बड़े शहरों में मिलती थी वो ही ब्रांड यहां मिल रहा है। और लोग भी काफी अच्छे हैं। काफी डेवलपमेंट हैं यहां।

अपने जुनून को जिंदा रखिए

शो में अपने किरदार के बारे में बताइए?

शो में मैं मनसा देवी का किरदार निभा रही हूं। वह नागों की देवी है। इसमे मेरा किरदार काफी स्ट्रांग है। जिसमें पॉजिटिव साइड्स भी हैं। वह अपने बेटे को समय-समय पर सही बातें बताती है। अगर वह गलत

कदम उठाता है तो उसको सही काम करने को कहती है। मेरे लुक पर काफी काम हुआ है। यहां

तक कि मेरा केवल मुकुट ही दो किलो का है।

अम्मा मेरी आत्मा

लीक से हटकर इस शो को करने के लिए आपने क्या-क्या तैयारी की?

मुझे ऐसी कोई खास तैयारी नहीं करनी पड़ी क्योंकि इसके बारे में लोगों को कम पता है। तो जैसा मेरा किरदार राइटर्स ने लिखा है मुझे वैसे ही करना है। हां, मनसा देवी की तरह चलने फिरने, आर्शीवाद देने, उसके हाव-भाव को पकडऩे के लिए मैंने खुद से तैयारी की है। उसके जैसा ग्रेस, मैनरिज्म को दिखाने के लिए कई बार प्रैक्टिस की। इसके अलावा हिंदी के शब्दों को ठीक से कहने का सलीका भी सीखा।

मोहब्बत सी हो गई है चुनौती के नाम से

आरती तिवारी


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