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    हिंदुओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक को लेकर पाक सुप्रीम कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट

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    Updated: Wed, 26 Feb 2014 06:30 PM (IST)

    पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को सिंध प्रांत में स्थित सौ साल पुराने मंदिर में प्रवेश की अनुमति सुनिश्चित करने को लेकर किए गए प्रयासों पर रिपोर्ट मांगी है। शीर्ष अदालत की कराची पीठ पेशावर में ऑल सेंट्स चर्च पर हुए हमले कीस्वत: संज्ञान कार्यवाही के दौरान अल्पसंख्यकों को प्रेम प्रकाश्

    कराची। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को सिंध प्रांत में स्थित सौ साल पुराने मंदिर में प्रवेश की अनुमति सुनिश्चित करने को लेकर किए गए प्रयासों पर रिपोर्ट मांगी है।

    शीर्ष अदालत की कराची पीठ पेशावर में ऑल सेंट्स चर्च पर हुए हमले कीस्वत: संज्ञान कार्यवाही के दौरान अल्पसंख्यकों को प्रेम प्रकाश पंथ के अमरापुर स्थान मंदिर में प्रवेश न करने की अनुमति के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता रिझो मल ने आरोप लगाया है कि तंदो अदम स्थित मंदिर में सरकारी स्कूल का प्रबंधन हिंदुओं को प्रवेश की इजाजत नहीं दे रहा है। दरअसल, मंदिर के परिसर में स्कूल का कार्यालय है।

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    मुख्य न्यायाधीश तसादुक हुसैन जिलानी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि संविधान देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की गारंटी देता है। शीर्ष अदालत यह सुनिश्चित करेगी कि ये अधिकार लागू हों। पीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता अदनान करीम से मामले की जांच करने को कहा। इस बीच पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के संरक्षक रमेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से हिंदू जिमखाना इमारत का इस्तेमाल सिर्फ हिंदुओं को करने देने की इजाजत देने का आग्रह किया। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि कराची में हिंदू जिमखान का निर्माण हिंदू समुदाय ने 1926 में मनोरंजक उद्देश्यों के लिए किया था। उन्होंने कहा कि इमारत को अवैध तरीके से खाली संपत्ति घोषित कर दिया गया था और कई प्रतिष्ठानों ने इसे अपने हाथ में ले लिया।

    मंदिरों की रक्षा के लिए हिंदुओं को करना पड़ रहा संघर्ष

    इस्लामाबाद। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को अपने मंदिरों और उसके आसपास की जमीन की सुरक्षा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। बुधवार को एक्सप्रेस ट्रिब्यून में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

    इसमें कहा गया है कि देश विभाजन के समय ज्यादातर हिंदू भारत चले गए थे और अपने पीछे काफी जमीन जायदाद और मंदिर छोड़ गए थे। कुछ का आरोप है कि स्थानीय लोगों ने फर्जी दस्तावेज से मंदिर के आसपास की जमीन हथिया ली और वहां बाजार बना लिए। यह मंदिर उन क्षेत्रों में स्थित हैं जहां जमीनों का मूल्य बहुत अधिक है। इन पर भू माफियाओं की निगाहें रहती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि असहाय समुदाय जीर्ण-शीर्ण और लूटी गई इमारतों की रक्षा करने के लिए कुछ नहीं कर सकता। रावलपिंडी में करीब पांच हजार हिंदू रहते हैं। यहां पर सिर्फ एक कृष्ण मंदिर है जहां पर वे पूजा कर सकते हैं। यह मंदिर छोटे से भूखंड पर बना है, जो धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान समुदाय के सदस्यों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

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