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    पाक सरकार से तेज निकला लखवी, छुट्टी में भी पहुंचा हाई कोर्ट

    By Sudhir JhaEdited By:
    Updated: Sat, 27 Dec 2014 08:41 AM (IST)

    शांति भंग की आशंका (एमपीओ) कानून के तहत गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद मुंबई हमले का साजिशकर्ता और लश्कर आंतकी जकी उर रहमान लखवी अपनी रिहाई के लिए शुक्र ...और पढ़ें

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    इस्लामाबाद। शांति भंग की आशंका (एमपीओ) कानून के तहत गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद मुंबई हमले का साजिशकर्ता और लश्कर आंतकी जकी उर रहमान लखवी अपनी रिहाई के लिए शुक्रवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया।

    पाकिस्तान सरकार द्वारा रिहाई की अर्जी ठुकराए जाने के बाद उसने अदालत में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है।

    याचिका में उसने एमपीओ के तहत हिरासत में रखने के सरकार के आदेश को चुनौती दी है। उसके वकील राजा रिजवान अब्बासी के अनुसार हाई कोर्ट सोमवार को लखवी की याचिका पर सुनवाई की तारीख तय करेगा।

    उल्लेखनीय है कि 18 दिसंबर को इस्लामाबाद की आतंकरोधी अदालत ने सुबूतों की कमी का हवाला देते हुए 26/11 मामले में लखवी को जमानत दे दी थी। इससे पहले उसे रिहा किया जाता भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तीखी प्रतिक्रिया को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने उसे एमपीओ के तहत गिरफ्तार कर तीन महीने के लिए जेल में रखने का आदेश जारी कर दिया।

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    इस आदेश को रद करने के लिए लखवी ने बुधवार को गृह मंत्रालय में अर्जी दी थी। अब्बासी ने बताया कि शुक्रवार की सुबह सरकार ने उसकी अर्जी ठुकरा दी। वकील के मुताबिक वे पहले ही साफ कर चुके थे कि सरकार यदि उनकी अपील पर गौर नहीं करती है तो वे गैर कानूनी गिरफ्तारी के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

    छुट्टी में भी मंजूर की अपील

    पाकिस्तान की ऊपरी अदालतों में 8 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश चल रहा है। इसके बाद भी लखवी की याचिका हाई कोर्ट में स्वीकार कर ली गई है। इस पर लखवी के वकील का कहना था कि गैरकानूनी गिरफ्तारी के मामले गंभीर होते हैं इसलिए अदालत छुट्टियों के दौरान भी इस संबंध दायर याचिका मंजूर कर सकती है।

    पर सरकार अब भी दूर

    लखवी की जमानत के खिलाफ पाकिस्तान सरकार अब तक हाई कोर्ट में अपील दायर नहीं कर सकी है। मामले में मुख्य अभियोजक चौधरी अजहर ने बताया कि उन्हें आतंकवाद विरोधी अदालत के आदेश की प्रति हासिल कर पाने में मुश्किल हो रही है। उन्होंने कहा कि आदेश की प्रति मिलने के बाद भी हमें याचिका तैयार करने के लिए समय की जरूरत होगी।

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