उप्र में पंजीकृत ऑटो दिल्ली में प्रतिबंधित करना उचित नहीं
उत्तर प्रदेश में पंजीकृत ऑटो को दिल्ली में प्रवेश से प्रतिबंधित करने का निर्णय सही नहीं है। अगर उप्र में पंजीकृत ऑटो को दिल्ली में और दिल्ली में पंजीक ...और पढ़ें

नई दिल्ली, [पवन कुमार]। उत्तर प्रदेश में पंजीकृत ऑटो को दिल्ली में प्रवेश से प्रतिबंधित करने का निर्णय सही नहीं है। अगर उप्र में पंजीकृत ऑटो को दिल्ली में और दिल्ली में पंजीकृत ऑटो को उप्र में जाने से पूरी तरह से रोक दिया गया तो इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अधिक परेशानी होगी। अदालत ऐसा कोई निर्णय नहीं दे सकती जो कि जनहित के खिलाफ हो।
यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उत्तर प्रदेश में पंजीकृत ऑटो के दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की गई थी। खंडपीठ ने कहा कि याचिका में दिल्ली के ऑटो चालकों का निजी हित शामिल है। यह याचिका जनहित के खिलाफ है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।
खंडपीठ ने अपने फैसले में ऑटो चालकों के लिए एक नई व्यवस्था देते हुए दिल्ली यातायात पुलिस व दिल्ली परिवहन विभाग को कहा है कि वह कोई ऐसा सिस्टम बनाए, जिससे एनसीआर में चलने वाले ऑटो को नियंत्रित किया जा सके। चाहे वह किसी भी राज्य में पंजीकृत हों।
ऑटो पर रोक लगाने का क्या मतलब
खंडपीठ ने कहा कि उनको एक बात समझ नहीं आ रही है कि जब एनसीआर का गठन कर दिया गया है तो एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले ऑटो पर रोक लगाने का क्या मतलब है? जबकि ये दोनों राज्य एनसीआर का हिस्सा हैं। इसलिए इन ऑटो के चालान काटने की बजाय इनको नियंत्रण करने का सिस्टम बनाया जाना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने इस अहम फैसले से दिल्ली व उत्तर प्रदेश की सीमा विवाद के चलते पुलिस कार्रवाई झेलने वाले सैकड़ों ऑटो चालकों को एक तरह से राहत प्रदान की है।
फोटो खींचकर अधिकारियों को भेजे
खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता यह नहीं बता पाया कि पुलिस को इस मामले में क्या उपयुक्त कदम उठाने चाहिए। वैसे भी आजकल सबके पास मोबाइल फोन में कैमरा है। अगर उनको कभी लगता है कि कोई ऑटो नियमों का उल्लंघन करके दिल्ली की सड़कों पर चल रहा है तो उसकी फोटो खींचकर संबंधित अधिकारियों के पास भेज सकते हैं। ताकि उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकें।
दायर की गई थी जनहित याचिका
उल्लेखनीय है कि इस मामले में डॉ. मधुकर एस नामक व्यक्ति ने याचिका दायर कर मांग की थी कि उत्तर प्रदेश में पंजीकृत ऑटो को दिल्ली की सड़कों पर चलने से रोका जाए क्योंकि वह नियमों का उल्लंघन करके दिल्ली में आ रहे हैं और इससे दिल्ली के ऑटो चालकों की आजीविका भी प्रभावित होती है। पुलिस उप्र के ऑटो चालकों पर कार्रवाई भी नहीं करती। ऐसे में मामले में सख्त निर्देश जारी किए जाएं।
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दिल्ली पुलिस व परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश से दिल्ली में आने वाले ऑटो का चालान न काटें, बल्कि उन्हें नियंत्रित करने की योजना बनाएं। - हाईकोर्ट

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