आगस्ता वेस्टलैंड के मामले में भ्रष्टाचार के मुद्दे को भटका रहा विपक्ष
अगस्ता वेस्टलैंड मामले में केन्द्र सरकार ने कहा सीबीआई और ईडी मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण की भरपूर कोशिश कर रही हैं। आरोपियों के विदेश में होने के कारण देरी हो रही है । भ्रष्टाचार के इस मामले में विपक्ष जानबूझकर मुद्दे से भटकाने की कोशिश कर रहा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि आगस्ता वेस्टलैंड के मामले में मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार का है जिसे विपक्ष जान-बूझ कर भटका रहा है। इसका कहना है कि सीबीआइ और ईडी इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। मगर आरोपियों के विदेश में होने की वजह से इसमें देरी हो रही है।
माइकल सहित सभी आरोपियों की गिरफ्तारी व प्रत्यर्पण के लिए प्रयास तेज
रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को दावा किया है कि इस मामले के आरोपी क्रिश्चियन माइकल जेम्स के साथ ही कार्लो गेरोसा और गाइडो राल्फ की गिरफ्तारी या प्रत्यर्पण के लिए भी पुरी कोशिश की जा रही है। इसने कहा है कि भ्रष्टाचार के मुख्य मुद्दे पर सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों ही एजेंसियां गंभीरता से काम कर रही हैं। पिछले साल दिसंबर में और इस साल जनवरी में इनके खिलाफ इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस जारी हुआ है। साथ ही माइकल के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध भी किया गया है। इसी तरह ईडी ने इस मामले में एक भारतीय नागरिक को गिरफ्तार कर उसकी ओर माइकल की 11 करोड़ की संपत्ति जब्त की है।
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सरकार का कहना है कि 'इस मामले में मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार है। मौजूदा सरकार ने सच्चाई को सामने लाने की हर मुमकिन कोशिश की है और आगे भी भ्रष्टाचारियों और गुनाहगारों को कानून के शिकंजे में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इस मामले में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि इसमें अहम भूमिका निभाने वाले कुछ अहम लोग विदेशों में हैं। लेकिन जान-बूझ कर ऐसे सवाल उठाए जा रहे हैं जिनसे भ्रष्टाचार के मूल मुद्दे से ध्यान भटक सके।'यह भी पढ़ें - अगस्ता वेस्टलैंड: मीडिया को मैनेज करने के लिए खर्च किए गए थे 50 करोड़ रूपये
आगस्ता वेस्टलैंड कंपनी को काली सूची में डाले जाने के संबंध में कांग्रेस की ओर से किए जा रहे दावे के संदर्भ में अब सरकार ने और विस्तार से जानकारी दी है। इसके मुताबिक एक जनवरी, 2014 को पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान आगस्ता वेस्टलैंड के साथ हुआ 12 वीवीआइपी हेलीकाप्टर का सौदा रद्द जरूर किया गया। लेकिन इस आदेश में कंपनी को प्रतिबंधित नहीं किया गया था। जबकि मौजूदा सरकार ने तीन जुलाई, 2014 को दिए अपने आदेश के जरिए छह कंपनियों के साथ चल रहे सभी सौदों को स्थगित कर दिया।
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ये छह कंपनियां आगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल, फिनमैकेनिका (इटली), आइडीएस (ट्यूनीशिया), इंफोटेक डिजाइन सिस्टम (मॉरीशस), आइडीएस इंफोटेक (मोहाली) और एरोमैट्रिक्स इंफो सोल्यूशन (चंडीगढ़) हैं। इनके खिलाफ सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज की थी। साथ ही यह भी यह भी बताया है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान इन कंपनियों से कोई नई बड़ी खरीद नहीं की गई है।
इसी तरह विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की ओर से इस कंपनी के एक ज्वाइंट वेंचर को मंजूरी दिए जाने के आरोप को भी पूरी तरह से गलत बताया गया है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि टाटा संस और आगस्ता के साझा उपक्रम के प्रस्ताव को वर्ष 2011 में ही मंजूरी मिली थी। इसी आधार पर औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) ने वर्ष 2012 में इसे हेलीकाप्टर बनाने का लाइसेंस भी दिया था। मगर इस लाइसेंस की समय सीमा समाप्त हो चुकी है।