अलगाववादियों को मिलने वाले फंड मामले में SC ने PIL खारिज की
अलगावादियों को मिलने वाली सुविधा के सिलसिले में दायर पीआइएल को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ...और पढ़ें

नई दिल्ली। अलगाववादियों को सरकार द्वारा मिलने वाली सुविधा के खिलाफ दायर जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि किसको सुविधा मिलनी चाहिए ये सरकार का काम है। अदालत इसमें दखल नहीं दे सकती है।
वकील एम एल शर्मा ने याचिका में मांग की थी कि सरकार की ओर से अलगाववादियों को विदेशी दौरे और अन्य सुविधाओं के लिए दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगायी जाए। याचिका में कहा गया है कि सरकार अलगाववादियों पर 100 करोड़ से अधिक रुपये खर्च करती है और वे देश विरोधी गतिविधियों में इन पैसों का इस्तेमाल कर रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि वह अपनी याचिका सूची में दर्ज कराएं। कोर्ट ने कहा, हम लोग भी ऐसी सोच रखते हैं। यहां बैठे सभी लोग ऐसा ही महसूस करते हैं।
आतंकियों व अलगाववादियों से सख्ती से निपटा जाएगा : सिंह
कश्मीर में शांति बहाली के प्रयासों के तहत घाटी गए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से अलगाववादियों ने बातचीत से इनकार कर दिया और अडि़यल रवैया अपनाया। इस पर केंद्र सरकार ने भी उन पर सख्ती के संकेत दिये हैं, जिसमें उनकी सुरक्षा, विदेश यात्राओं समेत कई सुविधाओं में कटौती की जा सकती है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार सभी पक्षों से बातचीत के लिए तैयार है लेकिन राष्ट्र की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
अलगाववादियों के खिलाफ पैंथर्स पार्टी का प्रदर्शन
अगर सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो मालूम होता है कि पिछले पांच वर्षों में अलगवावादियों पर 21 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सरकार अलगाववादियों की पॉलिटिकल एक्टविस्ट के तौर पर मेहमान नवाजी करती है। अलगाववादियों को दी जाने वाली मदद का 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठाती है, जबकि 10 फीसद खर्च राज्य सरकार के अधीन आता है। अब ऐसे में जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला बताया है तो देखना होगा कि केंद्र इस पर अपना क्या फैसला देता है?

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