फेसबुक पर सामाजिक सरोकार भी
सोशल मीडिया साइट फेसबुक के मनोरंजक रूप से अलग कुछ लोग उसका इस्तेमाल सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए भी करते हैं।
जागरण डेस्क, नई दिल्ली। सोशल मीडिया साइट फेसबुक के मनोरंजक रूप से अलग कुछ लोग उसका इस्तेमाल सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए भी करते हैं। पाकिस्तान के एक समाजसेवी समूह के लिए अमेरिका के 'ह्यूमंस ऑफ न्यूयॉर्क' ने हाल में 13 करोड़ रुपये का चंदा इकट्ठा किया था। समाज की अनसुनी कहानियों को सामने लाने वाली इस मुहिम से प्रेरित होकर भारत में भी कुछ ऐसी शुरुआत हुई हैं।
करिश्मा मेहता 'ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' के जरिये समाज की कहानियों से फेसबुक प्रेमियों को जोड़ती हैं। मुंबई के रेड लाइट क्षेत्र कमाठीपुरा की रहने वाली सायरा से उनकी मुलाकात कई कड़वे सच सामने लेकर आई है। सायरा शुरू से ही इस क्षेत्र में रही हैं। वह दुष्कर्म की शिकार हुई थी, लेकिन अपनी हिम्मत सहेज कर अब एक गैर-सरकारी संगठन के साथ काम करती हैं। वह कहती हैं कि उनके हालात के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। उनकी कहानी फेसबुक पर सामने आने के बाद करीब 5 लाख रुपया उनकी मदद के लिए इकट्ठा किया जा चुका है। करिश्मा मेहता के अनुसार उनका फेसबुक पेज खासा पसंद किया जा रहा है, लेकिन अभी भी उन्हें कई स्थानों पर विरोध का सामना करना पड़ता है।
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'ह्यूमंस ऑफ बंगलौर' की श्रेया विट्ठलदेव के अनुसार उनकी पसंदीदा कहानी उस व्यक्ति की है जो एक मंदिर में भगवान की तस्वीरें और मूर्तियां बेचता है, लेकिन खुद नास्तिक है। उस व्यक्ति ने उन्हें बताया कि लोग उसके पास नई तस्वीरों या अन्य सामान के लिए आते रहते हैं। खास बात यह है कि धार्मिक सामान की खरीद के समय वह मोलभाव नहीं करते। 'शायद वह अपने विश्र्वास की जड़ें मजबूत करना चाहते हैं।' विट्ठलदेव के अनुसार ऐसी ही कहानियों को सामने लाने के लिए उन्होंने यह पेज शुरू किया है।
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इसी तरह 'ह्यूमंस ऑफ इंडिया' फेसबुक पेज के रॉबिन कंकरवाल हैं जो मानव मूल्यों से जुड़ी कहानियों को दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं। उनके फेसबुक पेज पर पूर्व सैनिक लक्ष्मीकांत शिर्के की प्रेरणादायी कहानी है। एक दुर्घटना में शिर्के ने बाई टांग और दायां हाथ खो दिए थे, लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं खोई। वह आज भी ड्राइविंग का आनंद लेते हैं। शिर्के के अनुसार, 'मेरा विश्र्वास अटल है। अपना हर दिन मैं हिम्मत से जीता हूं। जीवन के हर पहर और हर दिन को खुलकर जीता हूं।'
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