JNU विवाद: जेल में जान का खतरा बता सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कन्हैया, सुनवाई कल
राजद्रोह के आरोप में तिहाड़ में बंद जेएनयू के छात्र संघ नेता कन्हैया ने जमानत के लिए सीधे सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कन्हैया ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर जान को खतरे की दुहाई देते हुए जमानत की गुहार लगाई है। सुप्रीमकोर्ट कन्हैया की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई
नई दिल्ली। राजद्रोह के आरोप में तिहाड़ में बंद जेएनयू के छात्र संघ नेता कन्हैया ने जमानत के लिए सीधे सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कन्हैया ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर जान को खतरे की दुहाई देते हुए जमानत की गुहार लगाई है। सुप्रीमकोर्ट कन्हैया की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कन्हैया
कन्हैया का जमानत मांगने के लिए सीधे सुप्रीमकोर्ट पहुंचना असमान्य घटना है। सामान्यता कोई भी अभियुक्त सीधे सुप्रीमकोर्ट से जमानत नहीं मांगता। वह पहले निचली अदालत, फिर हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीमकोर्ट जाता है। इसका कारण है कि अगर सुप्रीमकोर्ट ने एक बार याचिका खारिज कर दी तो निचली अदालतों से राहत मिलना मुश्किल होता है। हालांकि कन्हैया ने जमानत अर्जी नहीं, बल्कि मौलिक अधिकारों के हनन की दुहाई देते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है और उस याचिका में जमानत देने का अनुरोध किया है।
गुरुवार को कन्हैया की ओर से पेश दिग्गज वकील सोली सोराबजी और राजू राम चंद्रन ने कोर्ट के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। न्यायमूर्ति जे. चेल्मेश्वर व न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए शुक्रवार को सुनवाई की मंजूरी दे दी। कन्हैया ने याचिका में मौलिक अधिकारों के हनन और जान को खतरे का मुद्दा उठाया है। उसने रिहाई की गुहार लगाते हुए कहा है कि वह बेकसूर है और उसे मामले में झूठा फंसाया गया है।
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याचिका में कन्हैया ने कहा
पुलिस को अब आगे जांच के लिए उसे हिरासत में रखने की जरूरत नहीं रह गई है और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। कन्हैया ने यह भी कहा है कि कुछ ऐसी रिपोर्ट आयी हैं जिनमें दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उसे उसके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। मामले की असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए सुप्रीमकोर्ट उसकी रिहाई का आदेश जारी करे। वह जेएनयू का छात्र है न कि कुख्यात अपराधी। कोर्ट रिहाई के लिए जो भी शर्त लगाएगा वो मानने को तैयार है।
कन्हैया ने तिहाड़ जेल में भी जान के खतरे की आशंका जताई है। कहा है कि जेल में साथी कैदी उस पर हमला कर सकते हैं। याचिका में कहा गया है कि पटियाला हाउस अदालत का माहौल ऐसा नहीं है कि वहां निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई हो सके। उसकी, उसके वकील और पैरोकार की सुरक्षा खतरे में है वे संबंधित अदालत में जाकर अपना केस पेश करने में असहाय महसूस कर रहे हैं। उस पर कोर्ट परिसर में हमला हुआ। प्रशासन सुप्रीमकोर्ट का आदेश लागू करने में नाकाम रहा।
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'पटियाला हाउस कोर्ट की परिस्थितियां असाधारण'
कन्हैया का कहना है कि वह बेकसूर है। जबकि पटियाला हाउस कोर्ट में मौजूद भीड़ उसे दोषी मानते हुए सजा देने पर उतारू है। सीधे सुप्रीमकोर्ट से जमानत मांगने का कारण बताते हुए कहा है कि पटियाला हाउस अदालत में चल रहे माहौल में उसके वकील जमानत के लिए सत्र अदालत नहीं पहुंच सकते। परिस्थितियां असाधारण हैं। उसके पास सुप्रीमकोर्ट आने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
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पटियाला हाउस कोर्ट की घटना की रिपोर्ट पेश
सुप्रीमकोर्ट में पेश हुई रिपोर्टउधर कल पटियाला हाउस अदालत में हुए हंगामें की रिपोर्ट आज सुप्रीमकोर्ट में पेश हुई। दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और वकीलों के पैनल ने सील बंद लिफाफे में न्यायालय को रिपोर्ट सौंपी। दिल्ली पुलिस शुक्रवार की सुबह कोर्ट को रिपोर्ट देगी। पुलिस की रिपोर्ट आने के बाद ही कोर्ट सभी रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर फैसला लेगा।बार काउंसिल भी पहुंची सुप्रीमकोर्ट बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार ने आज कोर्ट में पेश होकर कहा कि बार काउंसिल ने वकीलों के हंगामें को गंभीरता से लिया है और वो इस संबंध में कार्रवाई कर रही है। कुमार ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वो बार काउंसिल का भी पक्ष सुने। पीठ ने बार काउंसिल को सोमवार तक अपना पक्ष रखने की इजाजत दे दी है।
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उधर दूसरी ओर निचली अदालत में कन्हैया की पैरोकारी कर रही वकील वृंदा ग्रोवर ने भी सील बंद लिफाफे में कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी। लोग सावधानी से दे बयानकोर्ट ने लोगों से कहा है कि वे बयान देने में सावधानी बरतें। अदालत कानून व्यवस्था की स्थिति पर नजर रखे हुए है लेकिन लोगों को बेवजह बयान नहीं देने चाहिए। कोर्ट ने बात तब कही जब एक वकील ने दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी के मीडिया में आये बयान का जिक्र किया और कोर्ट से कहा कि सीपी ऐसा बयान कैसे दे सकते हैं। पीठ ने वकील से कहा कि कोर्ट मामले पर नजर बनाए हैं लेकिन इस तरह की बातें नहीं की जानी चाहिए।
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