आइएएस अधिकारी के हवाले नहीं होगा रेलवे बोर्ड!
रेलवे बोर्ड किसी आइएएस अधिकारी के हवाले नहीं होगा, बल्कि इसे रेलवे अफसरों के मातहत ही लाया जाएगा। बोर्ड के अफसर केवल सर्वोच्च स्तर पर नीतियां एवं योजनाएं बनाने का कार्य करेंगे। ट्रांसफर-पोस्टिंग, ट्रेनों की निगरानी अथवा निविदा मूल्यांकन जैसे रूटीन कार्यो से उनका कोई वास्ता नहीं होगा। इनकी जिम्मेदारी
नई दिल्ली [संजय सिंह]। रेलवे बोर्ड किसी आइएएस अधिकारी के हवाले नहीं होगा, बल्कि इसे रेलवे अफसरों के मातहत ही लाया जाएगा। बोर्ड के अफसर केवल सर्वोच्च स्तर पर नीतियां एवं योजनाएं बनाने का कार्य करेंगे। ट्रांसफर-पोस्टिंग, ट्रेनों की निगरानी अथवा निविदा मूल्यांकन जैसे रूटीन कार्यो से उनका कोई वास्ता नहीं होगा। इनकी जिम्मेदारी जोनल महाप्रबंधक पर होगी।
रेलवे बोर्ड पुनर्गठन के लिए गठित बिबेक देबराय समिति तथा यूनियनों के साथ चर्चा के बाद नए रेल मंत्री सुरेश प्रभु इसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। चर्चा के दौरान तकरीबन सभी यूनियनों ने बोर्ड को आइएएस अधिकारी के सुपुर्द करने के विचार को अप्रासंगिक बताते हुए इसका विरोध किया। सबका मानना था कि रेलवे बोर्ड को प्रशासनिक नहीं बल्कि प्रबंधकीय सुधारों की जरूरत है।
इनका कहना था कि यदि किसी आइएएस अधिकारी को रेलवे बोर्ड की कमान सौंपी गई, तो रेलवे का 110 वर्ष पुराना सुस्थापित ढांचा बिखर जाएगा। लिहाजा रेलवे बोर्ड को 'प्रबंधन बोर्ड' बनाए जाने की जरूरत है।
आल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन, नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमेन तथा रेलवे आफिसर्स एसोसिएशन सभी की राय थी कि आइएएस अधिकारी को लाने से लालफीताशाही बढ़ने के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा। पीएसयू को आइएएस अधिकारी के हवाले करने का प्रशासनिक मॉडल विफल हो चुका है। रक्षा मंत्रालय में नौसेना व आर्डनेंस फैक्टि्रयों, कोयला मंत्रालय में कोल इंडिया तथा विमानन मंत्रालय में एयर इंडिया के मामले इसके उदाहरण हैं।
यदि बोर्ड अधिकारियों को रूटीन कार्यो से मुक्त कर दिया जाए, तो वे अपने असली काम पर ध्यान दे सकेंगे। अभी तो उनका ज्यादातर वक्त ट्रेनों का समय पालन सुनिश्चित करने, संसदीय सवालों के जवाब देने, यातायात खंडों को मंजूरी देने, मालगाडि़यों को रेक आवंटन करने व उनका मूवमेंट चेक करने तथा छोटे से छोटे निर्माण कार्यो को स्वीकृति देने जैसे रूटीन कार्यो में जाया होता है। ये कार्य व्यक्तिगत, प्रशासनिक या तकनीकी प्रकृति के हैं, जिन्हें आसानी से महाप्रबंधकों के सुपुर्द किया जा सकता है।
रेलवे बोर्ड की सर्वोच्चता रेलवे बोर्ड एक्ट 1905 तथा रेलवे एक्ट 1989 के तहत सुनिश्चित की गई थी। इनके अनुसार बोर्ड का काम सर्वोच्च स्तर पर नीतियां बनाना एवं योजनाएं तैयार करना है। आपरेशन की जिम्मेदारी जोनल रेलों की है। वक्त के साथ इनमें घालमेल हो गया और रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलों के काम भी अपने हाथ में ले लिए।
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बनेगा पर्यावरण निदेशालय
सुरेश प्रभु रेलवे बोर्ड में कुछ नए निदेशालय बनाने पर विचार कर रहे हैं। इनमें पर्यावरण निदेशालय प्रमुख है। इसका काम राजमार्गो की तरह रेल लाइनों के दोनों तरफ पेड़-पौधे लगाना, खाली जमीन पर जटरोफा जैसे बायोडीजल पौधे, पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना तथा रेलवे इमारतों की छतों पर सौर पैनल स्थापित करना होगा।
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