मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में कई चीजों को साधने की कोशिश, जानें मुख्य बातें
मोदी सरकार का कल मंत्रिमंडल विस्तार होना है। इसके जरिए पार्टी और सरकार कई चीजों को एक साथ साधने की कोशिश कर रही है।

नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने वाले हैं। इस मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए वह कई सारी चीजों को एक साथ साध रहे हैं। इसमें उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाला विधानसभा चुनाव भी है। वहीं महाराष्ट्र में लगातार भाजपा को खरी-खोटी सुनाने वाली शिवसेना को चुप कराने की कोशिश भी है। इसके अलावा कुछ राजनीतिक, जाति आधारित समीकरण को भी संतुलित करने का प्रयास इस मंत्रिमंडल विस्तार के तहत किया जाएगा। इसके साथ ही युवाओं की नई टीम बनाने पर भी जोर होगा। लिहाजा इस मंत्रिमंडल विस्तार की पांच वजहें बेहद खास होंगी।
होंगे नए चेहरे शामिल
मोदी सरकार के कल होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में कई नाम सामने आ रहे हैं। इनमें राजस्थान से अर्जुन राम मेघवाल और पीपी चौधरी, उत्तराखंड से अजय टमटा, उत्तर प्रदेश से योगी आदित्यनाथ, महेंद्र नाथ पांडे, कृष्ण राज, पश्चिम बंगाल से एसएस अहलुवालिया, असम से रामेश्वर और रमन डेका का नाम शामिल हैै। इस लिस्ट में मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद एमजे अकबर, अनिल माधव दवे, राज्यसभा से विजय गोयल, महाराष्ट्र से विनय सहस्रबुद्धे को भी मोदी कैबिनेट में जगह मिलने के आसार हैं। इसके अलावा गुजरात से राज्यसभा सांसद पुरुषोत्तम रुपाला, भावनगर से सांसद मनसुख मांडविया का भी नाम शामिल हो सकता है।
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दलित नेताओं पर ज्यादा ध्यान
जातीय समीकरण सुधारकर मोदी सरकार उत्तर प्रदेश मेंं होने वाले चुनाव में दलितों के वोट हासिल करने की भी कोशिश इस मंत्रिमंडल के माध्यम से कर रही है। उत्तर प्रदेश में दलितों की बड़ी जनसंख्या होने के नाते मोदी सरकार अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल को कैबिनेट में जगह दे सकते हैं। वह पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुर्मी नेता हैं। वहीं शाहजहांपुर से सांसद कृष्ण राज जो एक दलित नेता भी हैं, को मोदी सरकार में जगह मिल सकती है। इसके अलावा आरपीआई के रामदास अठावले और उत्तराखंड से अजय टमटा भी दलित नेता हैंं और उन्हें कैबिनेट बर्थ दिए जाने के पूरे आसार हैं। इसमें एक नाम बीकानेर से सांसद मेघवाल का भी है।
राजनीतिक समीकरण पर जोर
इस मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए मोदी सरकार प्रदेशों में अपने राजनीतिक समीकरण सही कर जातीय समीकरण भी बिठाना चाहती है। इसके लिए पीएम मोदी सरकार में अपना दल, शिवसेना और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के सांसदों को कैबिनेट बर्थ दी जा सकती है। शिवसेना की सीटें मोदी कैबिनेट में बढ़ सकती हैं। वहींं आरपीआई ने मुंबई में अगले वर्ष होने वाले सिविक पोल में भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया है, इसका फायदा इसके अध्यक्ष रामदास अठावले को इस बार मोदी सरकार में मंत्रीपद पाकर हो जाएगा। शिवसेना के अनिल देसाई को भी इस बार कैबिनेट बर्थ मिल सकती है। पिछली बार वह इसमें चूक गए थे।
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कुछ का होगा प्रमोशन
इस मंत्रिमंडल विस्तार में मुमकिन है कि वित्त, गृह और विदेश समेत रक्षा मंत्रालय में फेरबदल न किया जाए। लेकिन इसके बाद भी उर्जा मंत्री पियूष गाेयल का प्रमोशन किया जा सकता है। इस वर्ष के अंत तक पर्यावरण मंत्रालय, फोरेस्ट और क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट को अक्षय उर्जा से संबद्ध कर दिया जाएगा। फिलहाल इसे पियूष गोयल देख रहे हैं। इसके अलावा धर्मेंद्र प्रधान और मुख्तार अब्बास नकवी का भी प्रमोशन किया जा सकता है। वहीं उत्तर प्रदेश के जाट नेता संजीव बाल्यान, पूर्वी उत्तर प्रदेश के भमिहार नेता मनोज सिन्हा का भी प्रमोशन किया जा सकता है। इसके अलावा मोदी सरकार में मंत्री संवर लाल जाट और निहालचंद की कुर्सी जा सकती है। जाट को जहां उनकी हालत की वजह से मुक्त किया जाएगा वहीं निहालचंद को रेप के आरोपों के चलते अपनी कुर्सी गंवानी पड़ सकती है। सरबंदा सोनोवाल के असम का सीएम बनने के बाद खेल मंत्री की कुर्सी भी खाली पड़ी हैै।
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युवा चेहरों को किया जाएगा आगे
युवाओं की पैरवी करने वाली भाजपा इस मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए अपनी युवा छवि दिखाने की भी पूरी कोशिश करेगी। यही वजह है कि नजमा हेपतुल्ला और कलराज मिश्र को मोदी केबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा और इनकी जगह नए चेहरों को लाया जाएगा। यह दोनों ही 75 की उम्र को पार कर चुके हैं।

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