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    किश्तवाड़ पर केंद्र सरकार भी घिरी

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    Updated: Tue, 13 Aug 2013 03:43 AM (IST)

    किश्तवाड़ हिंसा की गूंज सोमवार को संसद में भी सुनाई पड़ी। विपक्ष ही नहीं, समर्थक दलों ने भी ईद के दिन जम्मू-कश्मीर में हुई हिंसा पर सरकार को आड़े हाथों ल ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किश्तवाड़ हिंसा की गूंज सोमवार को संसद में भी सुनाई पड़ी। विपक्ष ही नहीं, समर्थक दलों ने भी ईद के दिन जम्मू-कश्मीर में हुई हिंसा पर सरकार को आड़े हाथों लिया। भाजपा ने हालात को काबू करने में राज्य सरकार पर जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया तो केंद्र को भी हिदायत दी कि वह तय करे कि राज्य में शासन कैसे चलेगा। संप्रग की बाहरी सहयोगी बसपा ने भी उमर अब्दुल्ला सरकार की बर्खास्तगी के साथ ही जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर डाली।

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    किश्तवाड़ में हिंसा को लेकर राज्यसभा में गुस्से का आलम यह रहा कि सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी। किश्तवाड़ जाने से पहले ही वापस दिल्ली लौटा दिए गए नेता विपक्ष अरुण जेटली ने सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि किश्तवाड़ और उसके आसपास के क्षेत्रों में हुई हिंसा को काबू करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने समुचित प्रयास नहीं किया। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। लोग मारे जाते रहे। सैकड़ों दुकानों में आग लगा दी गई। सेना बुलाने में जान-बूझकर देरी की गई। हालात को बिगड़ने दिया गया। जबकि, यह घटना महज दो समुदायों के बीच का झगड़ा नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता व एकता से जुड़ा मसला है, क्योंकि वहां दूसरे देश के झंडे लहराए गए व फांसी की सजा पाए दोषियों की फोटो भी दिखाई गई। पूरी घटना में सरकार के वरिष्ठ अधिकारी की भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है। क्या केंद्र सरकार को कोई कदम नहीं उठाना चाहिए था।

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    खुद को वहां जाने से रोके जाने पर जेटली ने कहा कि क्या सरकार उस क्षेत्र में जाने वाले नेताओं पर सेंसरशिप लागू करना चाहती है। इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने जोड़ा कि जम्मू-कश्मीर 'बनाना रिपब्लिक' नहीं है, जहां धारा-144 लगाकर किसी के वहां जाने पर रोक रोक लगा दी जाए।

    बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, 'किश्तवाड़ हिंसा के दिन राज्य के गृह राज्यमंत्री वहीं थे। फिर भी कुछ नहीं किया। बसपा जिलाध्यक्ष के बेटे पर 17 गोलियां दागकर उसकी हत्या कर दी गई। केंद्र को दखल देना चाहिए। राज्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। ऐसा न होने पर केंद्र को जम्मू-कश्मीर सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए'।

    सपा के प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि राज्य सरकार हालात को काबू करने के प्रभावी कदम नहीं उठा सकी, इसलिए इतनी बड़ी घटना हो गई। जो स्थिति है, राज्य सरकार उसे नियंत्रित नहीं कर सकती, लेकिन राज्य सरकार की बर्खास्तगी से भी समस्या हल नहीं होगी।

    कांग्रेस के डॉ. कर्ण सिंह ने कहा कि न्यायिक जांच से कुछ नहीं होगा। उच्चस्तरीय जांच हो। सरकार को साहसिक कदम उठाने होंगे। इसके अलावा जद-यू के केसी त्यागी, लोजपा के रामविलास पासवान, माकपा के सीताराम येचुरी समेत दूसरे नेताओं ने इस मामले में सरकार को कठघरे में खड़ा किया।

    किसने, क्या कहा

    'जम्मू-कश्मीर किसी एक परिवार की जागीर नहीं है। वह भारत का अभिन्न हिस्सा है। सरकार को तय करना होगा कि वहां शासन कैसे चलाना है।'

    - अरुण जेटली, राज्यसभा में नेता विपक्ष

    '2002 में गुजरात सरकार ने किसी को भी अहमदाबाद जाने नहीं दिया था। यह मोदी की जागीर नहीं है।'

    - फारुक अब्दुल्ला, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष

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