शिवसेना ने बाचा खान यूनिवर्सिटी के नरसंहार के लिए पाक को ठहाराया जिम्मेदार
पाकिस्तान की बाचा खान यूनिवर्सिटी में बुधवार को हुए नरसंहार के लिए शिवेसना ने पाकिस्तान को ही जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने अपने मुखपत्र में लिखा है कि जिन्हें पाक ने भारत में नरसंहार करने के लिए पाला था आज वही भस्मासूर बनकर पाकिस्तान की धरती को लाल कर रहे
मुंबई। शिवसेना ने बाचा खान यूनिवर्सिटी में बुधवार को हुए नरसंहार के लिए खुद पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में पार्टी ने लिखा है कि पाकिस्तान ने जिन सपोलों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल के लिए पाला था वह अब खुद उन्हें ही डसने में लगे हुए हैं। लिहाजा इस तरह के नरसंहार के लिए वह ख्ाुद जिम्मेदार है।
इस संपादकीय में लिखा है कि भले ही इस नरसंहार में आर्मी स्कूल से कम छात्रों की मौत हुई हो लेकिन यह नरसंहार भी उसी तर्ज पर किया गया था। आतंकियों ने इस हमले में भी छात्रों के सिर में ही गोली मारी। पत्र में कहा गया है कि इस यूनिवर्सिटी का नाम खान अब्दुल गफ्फार खान के नाम पर रखा गया था। यह विडंबना ही है कि इस गांधीवादी नेता की पुण्यतिथि वाले दिन ही आतंकी ने इस नरसंहार को अंजाम दिया। ऐसे आतंकियों के लिए नराधम की उपमा भी कम है।
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सामना के जरिए शिवसेना ने पाक सरकार और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर भी जमकर निशाना साधा है। इसमें कहा गया है कि भले ही नवाज शरीफ ने इस हमले की निंदा की हो, लेकिन इन नराधमों का निर्माण किसने किया। सिर्फ पाकिस्तान की सेना और वहां की सरकार ने। संपादकीय के मुताबिक इनका निर्माण भारतीयों की बलि लेने के लिए किया गया और इनके आका आज भी पाकिस्तान में ही बैठे हैं। पठानकोट हमला इसका जीता जागता उदाहरण है।
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पार्टी ने अपने मुखपत्र में कहा है कि पठानकोट हमले के सूत्रधार के खिलाफ पहले कार्रवाई करने की झूठी खबर पाकिस्तान ने ही उड़ाई थी। इस के बाद भी यह केवल कोरी घोषण ही बनकर रह गई। जिस पाकिस्तान ने इन नराधमों का निर्माण पाकिस्तान में मासूमों की बलि के लिए किया था आज वही भस्मासूर बनकर पाकिस्तान की भूमि को खून से लाल कर रहा है।
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पत्र ने अंत में नवाज शरीफ नैतिकता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि आतंक को उखाड़ फेंकने की बात करते हैं वह क्या वास्तव में ऐसा कर पाने की हिम्मत रखते हैं। वहीं दूसरी ओर पत्र यह भी कहता है कि जो पाकिस्तान सरकार मसूद अजहर की गिरफ्तारी की झूठी अफवाह उड़ा सकती है उससे आखिर कोई क्या उम्मीद कर सकता है।
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