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    मुलायम ने आजम के हुनर को आजमाया

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    Updated: Fri, 13 Sep 2013 10:02 AM (IST)

    आखिरकार नगर विकास और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खान का मतलब क्या है? समाजवादी पार्टी और इसकी सरकार के लिए उनकी अहमियत क्या है? कैसे-कैसे वह पार्टी और सरकार के लिए वक्त-वक्त पर अपनी खिदमात देते रहे और कैसे विरोधी उनके और वह विरोधियों के निशाने पर आते रहे।

    लखनऊ [राज बहादुर सिंह]। आखिरकार नगर विकास और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खान का मतलब क्या है? समाजवादी पार्टी और इसकी सरकार के लिए उनकी अहमियत क्या है? कैसे-कैसे वह पार्टी और सरकार के लिए वक्त-वक्त पर अपनी खिदमात देते रहे और कैसे विरोधी उनके और वह विरोधियों के निशाने पर आते रहे।

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    ढाल बतौर संसदीय कार्य मंत्री :-

    सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने आजम खान की इस खूबी को पहचाना और इसका बखूबी इस्तेमाल किया। भाषण शैली के साथ-साथ चुभने वाले विषय को खूबसूरती के साथ दूसरी ओर घुमाकर विरोधी खेमे में उत्तेजना पैदा करने के फन में आजम उस्ताद शख्स हैं। मुलायम सिंह यादव ने उनके संसदीय हुनर को पहचाना और उन्हें मुख्यमंत्री बनने पर संसदीय कार्यमंत्री का दायित्व सौंपा। पहली बार मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव के साथ भी आजम खान संसदीय कार्य मंत्री के तौर परे वह पूरी सलाहियत और सहूलियत के साथ निभा रहे हैं।

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    विपक्ष में भी नफे का सौदा:-

    ऐसा नहीं है कि आजम केवल सरकारी पक्ष में रहते हुए संसदीय कार्य मंत्री के तौर पर डिफेंस करने में माहिर है बल्कि वह हमले करने के लिए विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी भी निभाने में समर्थ हैं। इस तथ्य से वाकिफ सपा प्रमुख ने इसका भी फायदा उठाया और 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के सामने आजम खान को विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बिठाया। उस समय विधान सभा में सपा के पास कुंवर रेवती रमण सिंह, बलराम यादव, माता प्रसाद पाण्डेय, राम गोविन्द चौधरी और शिवपाल सिंह यादव सरीखे नेता थे लेकिन नेताजी ने लीडर आफॅ अपोजिशन के लिए तरजीह आजम को ही दी।

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    अपनों से ही अनबन :-

    आजम खान को लेकर सपा नेतृत्व की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि उनकी सियासी अदावत उनकी अपनी ही कौम के दीगर सपा नेताओं से हैं और हालत यह है कि उनके हाथों सताए तमाम नेता भी गु्रप बनाकर उनके खिलाफ यहां वहां जब तब शरारत करते रहते हैं।

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