Move to Jagran APP

मुलायम ही समझते हैं आजम का मिजाज

सूबाई हुकूमत में दूसरे नम्बर के वजीर मोहम्मद आजम खां की तबीयत 'नासाज' है और उनके करीबी बताते हैं कि इसी वजह से वह आगरा में जारी सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन नहीं पहुंच सके। नासाज तबीयत के लिए इलाज की दरकार होती है और आजम खां को दवा वही दे सकता है जो उनका मिजाज भी समझता हो।

By Edited By: Published: Wed, 11 Sep 2013 08:56 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2013 08:57 PM (IST)

लखनऊ [राज बहादुर सिंह]। समझने के लिए तो सब मेरी मुश्किल समझते हैं,

loksabha election banner

दवा-ए-दिल वही दे जो मिजाज-ए-दिल समझते हैं।

सूबाई हुकूमत में दूसरे नम्बर के वजीर मोहम्मद आजम खां की तबीयत 'नासाज' है और उनके करीबी बताते हैं कि इसी वजह से वह आगरा में जारी सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले दिन नहीं पहुंच सके। नासाज तबीयत के लिए इलाज की दरकार होती है और आजम खां को दवा वही दे सकता है जो उनका मिजाज भी समझता हो।

अब तक के सियासी सफर में जब-जब तबीयत नासाज हुयी तो उनके मिजाज को समझने वाले उन्हीं सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें दवा देने का काम किया जिन्हें उन्होंने रफीकुल मुल्क के खिताब से नवाजा हुआ है। रूठने-मनाने के इस खेल के दोनों पुराने खिलाड़ी हैं और अगर आजम की तबीयत नासाज होने की टाइमिंग है तो नेताजी को खूब अच्छी तरह इस बात का अंदाजा होता है कि कब कौन सी दवा देनी है।

मोहम्मद आजम खां इन दिनों कैबिनेट मीटिंग में नहीं जाते। प्रेस नोट जारी कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के साथ मुलाकात पर सख्त नाराजगी का इजहार करते हैं। ताजा मुजफ्फरनगर दंगों पर भी उनकी नाखुशी समाने आयी। कुछ समय पहले दिल्ली की शाही मस्जिद के इमाम मौलाना अहमद बुखारी की मुलायम सिंह यादव से बढ़ती नजदीकियों पर भी आजम खान ने अपनी खास स्टाइल में ऐतराज जाहिर किया था।

पिछले लोकसभा चुनाव के समय कल्याण सिंह, अमर सिंह और जयाप्रदा को लेकर उनकी नाराजगी ने उन्हें पार्टी से अलग कर दिया था लेकिन फिर सही मौका देखकर मुलायम ने उन्हें मना लिया और दोनों साथ-साथ चलने लगे।

ऐसा नहीं है कि आजम खान केवल पार्टी के ही लोगों से नाराज होते हैं। वर्ष 2003-07 के बीच मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को लेकर तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर के खिलाफ वह इस कदर खुलकर आरोप लगाने के लिए बात इतनी बिगड़ गयी कि मामले को रफादफा करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को उन्हें लेकर राजभवन जाना पड़ा।

उस मुलाकात का कोई ब्योरा तो किसी ओर से जारी नहीं किया गया लेकिन जिन हालात में वह मुलाकात हुयी थी उसको देखते हुए यही माना गया कि सूबे के संवैधानिक प्रमुख पर सार्वजनिक आक्रमण करने के लिए उन्हें माजरत करनी पड़ी। बहरहाल फिर इंतजार रहेगा कि नासाज तबीयत को ठीक करने के लिए नेताजी कब पहल करते हैं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.