मोहनलालगंज का निर्भया कांड: अपने ही जाल में उलझी पुलिस
मोहनलालगंज के निर्भया कांड का हड़बड़ी में राजफाश कर पुलिस अपने ही जाल में उलझ गई है। अपनी तफ्तीश को पुख्ता करने में वह जितने तर्क गढ़ रही है, उतने ही सवाल उठ रहे हैं। मंगलवार को लखनऊ परिक्षेत्र के डीआइजी नवनीत सिकेरा ने कुछ नई दलीलों के साथ दावा किया घटना अकेले रामसेवक ने ही की है
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। मोहनलालगंज के निर्भया कांड का हड़बड़ी में राजफाश कर पुलिस अपने ही जाल में उलझ गई है। अपनी तफ्तीश को पुख्ता करने में वह जितने तर्क गढ़ रही है, उतने ही सवाल उठ रहे हैं। मंगलवार को लखनऊ परिक्षेत्र के डीआइजी नवनीत सिकेरा ने कुछ नई दलीलों के साथ दावा किया घटना अकेले रामसेवक ने ही की है। हालांकि बहुत से ऐसे सवाल उठे जिनका वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके।
नवनीत सिकेरा ने उन्हीं तथ्यों को फिर से सिलसिलेवार सुनाया, जिसे रविवार को एडीजी सुतापा सान्याल बता चुकी थीं। तब भी जो सवाल अनुत्तरित थे, उसका संतोषजनक जवाब सिकेरा के पास नहीं था। सिकेरा ने बहुत मजबूती के साथ दावा किया कि इस 22 लोगों की टीम ने दिन रात मेहनत करके इस मामले का सही राजफाश किया। लेकिन यह भी कहा कि अपनी बात जितनी अच्छी तरह से मीडिया के सामने रखनी चाहिए नहीं रख सके। कोई ऐसा कारण नहीं है कि हम विवेचना में गलती करें। भले अनजाने में कोई गलती हो जाए। सिकेरा ने नई बात यह बताई कि रामसेवक और मृतका के बीच दो साल पुरानी जान पहचान थी और रामसेवक ने अपने नंबर से भी उससे एक दो बार बातचीत की थी। राजू उर्फ राजीव के रूप में उसकी बातचीत 14 जुलाई को शुरू हुई। 16 जुलाई तक कुल 28 बार बातचीत हुई और उसके बुलावे पर महिला घर से निकली। काल डिटेल से पता चला कि एक समय दोनों एक ही सेल आइडी रेंज (एक ही टावर) में आ गए थे। महिला ने रामसेवक को राजू समझकर बातचीत शुरू की। राजू से उसका अच्छा परिचय था। अभी राजू का पता नहीं चला। राजीव उर्फ राजू की तलाश में पुलिस की टीम लगी है।
रामसेवक को आरोपी सिद्ध करने में पुलिस के तर्क
-जिस मोबाइल नंबर से रामसेवक ने बातचीत की उसका लोकेशन।
-अभियुक्त के शरीर पर नाखून के नौ निशान।
-रामसेवक ने कहा कि यह निशान बेल काटते समय लगे, लेकिन परीक्षण में सत्य नहीं।
-अभियुक्त ने 164 के तहत इकबालिया जुर्म किया स्वीकार।
-सबसे बड़ा साक्ष्य महिला के नाखूनों और अभियुक्त के शरीर की सेंपल रिपोर्ट है। नाखून और उसके शरीर का डीएनए मैच।
अनसुलझे सवालों पर डीआइजी का जवाब
-अजीज का मोबाइल और सिम पुलिस को नहीं मिल सका है। रामसेवक ने बताया कि उसने सिम को गड्ढे में फेंक दिया। पुलिस मोबाइल खोज रही है।
-मृतका के मोबाइल की भी काफी तलाश हुई, लेकिन अभी यह मिला नहीं।
-रामसेवक के अपने सिम और अजीज की चोरी वाले सिम की लोकेशन एक ही मिली है।
-रामसेवक के पास डबल सिम वाला मोबाइल था। उसने अपने एक सिम को निकालकर पर्स में रख लिया और उसकी जगह चोरी वाला सिम लगा लिया।
-अभी यह पता नहीं चला कि महिला मोहनलालगंज तक किस ऑटो से गई थी। इसकी जांच की जा रही है।
-महिला कैसे पूरी तरह निर्वस्त्र हो गई, इस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है।
पीजीआइ से किडनी दान का लेंगे साक्ष्य
सिकेरा ने बताया कि अपर पुलिस महानिदेशक सुतापा सान्याल ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका की दो किडनी आने के मामले की जांच उन्हें सौंपी है। 2011 में उसने अपने पति को किडनी दान दी थी, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों किडनी मौजूद है। सिकेरा ने कहा कि उनके पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट की वीडियो और फोटोग्राफ है। जब भी कोई किडनी दान देता है तो डोनर और मरीज दोनों की वीडियोग्राफी होती है। वह पीजीआइ से इसे हासिल करके पूरी छानबीन करेंगे।
फेक आइडी लेने पर दर्ज होगा मुकदमा
सिकेरा ने बताया कि फेक आइडी पर सिम लेने के मामले में फैजाबाद में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
पुलिस की कमजोर नजर
17 जुलाई को मोहनलालगंज के बलसिंहखेड़ा स्थित प्राइमरी स्कूल में महिला की निर्वस्त्र लाश मिलने के बाद पुलिस ने दावा किया था कि उसे चाकुओं से गोंद कर मारा गया है। सुतापा सान्याल ने तो पहले ही दिन 12 घावों की पुष्टि की थी, लेकिन अब पुलिस का कहना है कि उसे जो भी घाव लगे वह चाबी के हैं। आखिर पुलिस की नजर इतनी कमजोर कैसे हो गई। सिकेरा का कहना है कि सिर्फ आंख के देखने से ही सही निष्कर्ष नहीं निकलता। यानी पुलिस चाकुओं के घाव भी नहीं पहचानती।
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