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    पीएम मोदी के कूटनीतिक मंत्र से बदल रहा पाकिस्तान!

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Mon, 07 Mar 2016 09:29 AM (IST)

    पाकिस्तान के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीक से हटकर कूटनीति का असर अब साफ दिख रहा है। सीमा पार का राजनीतिक नेतृत्व भारत की तरफ से आपसी रिश्तों को सुधारने की दिशा में की गई साहसिक पहल के बाद अब आतंकवाद के खिलाफ खुद भी आगे बढ़ा है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीक से हटकर कूटनीति का असर अब साफ दिख रहा है। सीमा पार का राजनीतिक नेतृत्व भारत की तरफ से आपसी रिश्तों को सुधारने की दिशा में की गई साहसिक पहल के बाद अब आतंकवाद के खिलाफ खुद भी आगे बढ़ा है।

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    वरना पहले जहां से तबाही का सामान लेकर आतंकी गुपचुप आते थे, उसी पाकिस्तान ने अब भारत को बड़े आतंकी हमले से खुद ही सचेत किया है। भारत में तबाही फैलाने पाकिस्तान से निकले आतंकियों के बारे में खुद वहां के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर अली जंजुआ ने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल को इसकी सूचना दी है।

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    पाकिस्तान का विश्वास बहाली का यह कदम एक सकारात्मक पहल है, जो भारत-पाक संबंधों को नए दौर में ले जाता है। अगर घटनाओं पर नजर घुमाई जाए, तो पाकिस्तान का बदला रुख साफ नजर आता है। जो पाकिस्तान 26/11 के सुबूतों को लगातार नकारता रहा है, उसी ने पठानकोट के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर संदेश दिया कि वह भी अमन की राह पकड़ने को आतुर है। यही नहीं, जिस पाकिस्तान ने आतंकवाद के जिंदा सुबूतों को भी नहीं स्वीकारा, उसने 16 साल से खुले घूम रहे भारत के गुनहगार मसूद अजहर को गिरफ्त में लेकर संबंध सुधारने का संकेत दिया है।

    भारत ने शर्त रखी थी कि पाकिस्तान से आधिकारिक स्तर की वार्ता तभी संभव है, जबकि पड़ोसी देश हमारे गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई करे। पाकिस्तान ने मसूद अजहर को नजरबंद करके भारत के साथ वार्ता जारी रखने और संबंध सुधारने का संकेत दिया। अब गुजरात के तटीय क्षेत्र से आतंकियों के घुसपैठ की सूचना देकर विश्वास बहाली का एक और सुबूत दिया है।

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    पाकिस्तान की इस सकारात्मक पहल से मुंबई हमले के पाकिस्तान में बैठे गुनहगारों के खिलाफ मामला सात साल बाद अंजाम पर पहुंचने की भी उम्मीद जगी है। बात यह है कि मुंबई हमले का एक मामला पाकिस्तान की अदालत में भी लंबित है। लेकिन भारत में मौजूद गवाहों से पाकिस्तानी न्याय आयोग को जिरह की इजाजत न मिलने से वहां की अदालत में अपराध साबित होना मुश्किल हो रहा था।

    अब माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के गवाहों की पाकिस्तान की अदालत में पेशी की पहल की है। आतंक के खिलाफ दोनों देशों के मिलकर लड़ने से दोनों तरफ शांति बहाली होगी और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वालों के मंसूबे भी धरे रह जाएंगे।

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