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मनमोहन ने बीच में ही छोड़ दी थी मेडिकल की पढ़ाई

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए प्री मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश तो ले लिया था लेकिन कुछ महीनों विषय में रुचि समाप्त होने के कारण उन्होंने वो पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। मनमोहन सिंह के पिता चाहते थे कि उनका बेटा एक डॉक्टर बने। डॉक्टर सिंह की पुत्री दमन सिंह ने अपनी पुस्तक 'स्ट्रिक्टली पर्सनल

By Edited By: Published: Sun, 17 Aug 2014 06:36 PM (IST)Updated: Mon, 18 Aug 2014 07:31 AM (IST)

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए प्री मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश तो ले लिया था लेकिन कुछ महीनों विषय में रुचि समाप्त होने के कारण उन्होंने वो पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। मनमोहन सिंह के पिता चाहते थे कि उनका बेटा एक डॉक्टर बने।

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डॉक्टर सिंह की पुत्री दमन सिंह ने अपनी पुस्तक 'स्ट्रिक्टली पर्सनल : मनमोहन एंड गुरुशरण' में अपने अभिभावकों की जीवन यात्रा के बारे में लिखा है। किताब में मनमोहन सिंह की निजी जिंदगी पर प्रकाश डालती है। इसमें गत दस वर्षो का कोई उल्लेख नहीं है जब वे संप्रग सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। दमन अपने पिता को हास्यबोध से पूर्ण मानती हैं। वह कहती हैं, 'मेरे पिता ने अप्रैल, 1948 में अमृतसर के खालसा कॉलेज में प्रवेश लिया था। उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें इसलिए उन्होंने दो वर्ष के एफएससी पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया। लेकिन दो महीने बाद ही उन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़ दी। वास्तव में उनमें विषय को लेकर रुचि समाप्त हो गई थी।' उनकी पुस्तक अभिभावकों से हुई बातचीत पर आधारित है। उन्होंने पुस्तकालयों व अभिलेखागारों में भी समय बिताया है।

दमन ने पिता के हवाले से लिखा है, 'मैं अपने पिता के साथ दुकान पर बैठने लगा। लेकिन वहां भी मुझे अच्छा नहीं लगता था क्योंकि मुझसे समानता का व्यवहार नहीं किया जाता था। मुझसे पानी पिलाने और चाय लाने जैसे काम कराए जाते थे। फिर मैंने सोचा कि मुझे वापस कॉलेज चले जाना चाहिए। मैंने सितंबर, 1948 में ¨हदू कॉलेज में प्रवेश लिया। मुझे अर्थशास्त्र का विषय पसंद आया। गरीबी का मुद्दा हमेशा मुझे आकर्षित करता था मैं जानना चाहता था कि कुछ देश क्यों गरीब हैं?'

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