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    बेटी का सुझाव, आत्मकथा लिखें मनमोहन

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    Updated: Sun, 10 Aug 2014 10:12 AM (IST)

    नई दिल्ली। हाल के दिनों में संजय बारू के संस्मरण और नटवर सिंह की आत्मकथा पर मचे बवाल के बाद अब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने भी अपने पिता को आत्मकथा लिखने का सुझाव दिया है। 'स्टिक्टली पर्सनल : मनमोहन एंड गुरशरण' नाम से अपने पिता की जीवनी लिखने वाली दमन ने कहा कि दस वर्षो के शासन के बाद पूर्व प्रधानमंत्र

    नई दिल्ली। हाल के दिनों में संजय बारू के संस्मरण और नटवर सिंह की आत्मकथा पर मचे बवाल के बाद अब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने भी अपने पिता को आत्मकथा लिखने का सुझाव दिया है। 'स्ट्रिक्टली पर्सनल : मनमोहन एंड गुरशरण' नाम से अपने पिता की जीवनी लिखने वाली दमन ने कहा कि दस वर्षो के शासन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री को लेकर जिस तरह लोगों की राय बदली है, वह सचमुच परेशान करने वाला है। अपने पिता पर दमन सिंह की किताब 'स्ट्रिक्टली पर्सनल :मनमोहन एंड गुरशरण' रविवार को बाजार में आएगी। इसमें मनमोहन की जिंदगी के अनछुए पहलुओं के बारे में बताया गया है।

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    एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में दमन ने कहा कि हालांकि लोगों की राय समय-समय पर बदलती रहती है। फिर भी पूर्व प्रधानमंत्री के मामले में यह परेशान करने वाला है, क्योंकि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बहुत परिश्रम से काम किया। अब उनके काम के लिए कोई उनकी तारीफ नहीं कर रहा। यह सब देखकर दुख होता है।

    प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन की दूसरी पारी को याद करते हुए दमन ने बताया कि संप्रग-2 के दौरान पिता की आलोचना से उनकी मां को बहुत तकलीफ होती थी। दमन ने यह भी बताया कि जब वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मनमोहन को अब तक का सबसे कमजोर पीएम कहा था तो वह उनके पिता को भी बहुत बुरा लगा था।

    मीडिया के साथ मनमोहन के संबंधों में बदलाव पर दमन ने कहा कि वित्त मंत्री रहने के दौरान उनके पिता पत्रकारों से बहुत बात किया करते थे। लेकिन, उसके बाद समय के साथ मीडिया बदलता गया। बकौल दमन, मेरे पिता नहीं बदले। यह मीडिया है, जिसमें बदलाव आया। मुझे लगता है कि उन दिनों गंभीर मुद्दों में मीडिया की ज्यादा दिलचस्पी रहती थी और गंभीर मुद्दों की समझ भी ज्यादा थी। साथ ही दमन ने कहा कि उनके पिता को बौद्धिक बातचीत बहुत पसंद है।

    यह पूछे जाने पर कि सोनिया गांधी द्वारा खुद प्रधानमंत्री बनने से इन्कार कर मनमोहन को इस काम के लिए आगे किए जाने पर उन्होंने कैसा महसूस किया? दमन ने कहा कि यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी। मुझे लगता है कि उन्होंने इसे एक सम्मान और चुनौती के एक बहुत बड़े अवसर के रूप में देखा।

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