असल जिंदगी के हीरो को आखिरी सलाम
गौरीकुंड में वायुसेना का हेलीकॅाप्टर गिरने के कुछ घंटे पहले तक मैं उन कई जवानों के साथ था जो इस हादसे में शहीद हो गए। इन्हीं में से एक थे एनडीआरएफ [नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स] गाजियाबाद में तैनात सब इंस्पेक्टर सतीश कुमार। मैंने पहली बार उन्हें 22 जून को तब देखा था जब वह अपने सामने आई थाली किसी और क
नोएडा, [गिरीश तिवारी]। गौरीकुंड में वायुसेना का हेलीकॅाप्टर गिरने के कुछ घंटे पहले तक मैं उन कई जवानों के साथ था जो इस हादसे में शहीद हो गए। इन्हीं में से एक थे एनडीआरएफ [नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स] गाजियाबाद में तैनात सब इंस्पेक्टर सतीश कुमार। मैंने पहली बार उन्हें 22 जून को तब देखा था जब वह अपने सामने आई थाली किसी और को दे रहे थे। कुछ समय बाद मैंने देखा कि उन्होंने अपना कंबल भी एक ठिठुरते शख्स को दे दिया। उनके इस जज्बे को देखकर मैं उनके करीब पहुंचा और अपना परिचय दिया। वह यह जानकर खुश हुए कि मैं उनके पड़ोस से आया हूं। थोड़ी ही देर में वह घुलमिल गए-मुझसे भी और अन्य मीडिया वालों से भी।
पढ़ें: बचाने वालों ने जान गंवाई
हादसे के बाद फिर डटे जवान, आकाश में उड़े हेलीकॉप्टर
इस देवदूत की सूचना से जागी सरकार
केदारनाथ मंदिर के भयावह दृश्यों को कैमरे में कैद करने के क्रम में मैंने सतीश कुमार के साथ अन्य जवानों के फोटो भी खींचे। जब मैं केदारनाथ मंदिर से करीब एक किलोमीटर दूर हेलीपैड पर पहुंचा तो मौसम खराब हो चुका था। कुछ देर बाद वहां कुछ और मीडियाकर्मी भी पहुंच गए। वहां फंसे लोगों की मदद करते सतीश कुमार हम लोगों के पास आए बिस्कुट व पानी दिया। जैसे-जैसे मौसम बिगड़ता गया, ठंड बढ़ती गई। हमारा एक साथी जो ठंड से परेशान था, उसे सतीश कुमार ने अपने गर्म कपड़े दिए। शाम तक मौसम नहीं साफ हुआ तो वहां पर अन्य लोगों के साथ हमने भी हेलीकॉप्टर के आने की उम्मीद छोड़ दी। रात में सतीश कुमार ने वहां पर फंसे लोगों को अपने कंबल बांट दिए। उन्होंने अपने साथियों के साथ वहां पर पड़ी पॉलीथिन से एक झोपड़ी बनाई, जिससे ठंड से बचा जा सके। उन्होंने ही सभी मीडियाकर्मियों को वहां पर सोने की जगह मुहैया कराई। उन्होंने वहां फंसे सभी लोगों से यह भी कहा कि एनडीआरएफ आपदा में फंसे लोगों की मदद ही नहीं करता, बल्कि हौसला भी बढ़ाता है। चूंकि मुझे नोएडा लौटना था इसलिए उन्होंने कहा कि मेरे घर वालों से कह देना, मैं पूरी तरह ठीक हूं, लोगों की मदद कर रहा हूं और अपना काम पूरा कर ही घर आऊंगा।
अगली सुबह भी वह हम सभी लोगों के लिए नाश्ता लेकर आए। इसके बाद वह केदारनाथ मंदिर के आस पास फंसे लोगों को ढूंढ़ने निकल गए। दोपहर तक कुछ पल के लिए मौसम साफ हुआ तो हेलीकॉप्टर वहां पर फंसे लोगों को लेने आ गया और हम लोग गोचर स्थित राहत शिविर की ओर चले गए। अगले दिन मुझे हेलीकॉप्टर के गिरने और उसमें सतीश कुमार के शहीद होने की खबर मिली। मैं उनका संदेश उनके घर वालों को दे पाता, इससे पहले ही उनके न रहने की खबर आ गई और उनका संदेश मेरे पास ही रह गया।
बेबस लोगों को बचाने में शहीद हुए उत्तर प्रदेश के पांच सपूत
लखनऊ, जागरण संवाददाता। उत्तराखंड आपदा में बेबस लोगों की जिंदगी बचाते-बचाते उत्तर प्रदेश के भी चार सपूत हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हो गए। उत्तराखंड में खराब मौसम के चलते अभी तक इन सभी के शव इनके गांव नहीं पहुंचे हैं। बृहस्पतिवार को शहीदों के शव उनके घर पहुंचने की संभावना है। बेटों की मौत से जहां परिजनों का बुरा हाल है, वहीं उनके गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है। शहीदों में अमेठी के अखिलेश, बलिया के संजीव, संतकबीर नगर के सुधाकर, कानपुर के नित्यानंद व झांसी के निवासी सर्वेश शामिल हैं।
दुर्घटना में कानपुर के चौबेपुर निवासी आइटीबीपी के असिस्टेंट कमांडेंट नित्यानंद गुप्ता शहीद हो गए। उनके पिता मुन्नालाल गुप्ता भी वायुसेना में थे। तीन पुत्रों में सबसे बड़े नित्यानंद 1989 में आइटीबीपी में कमांडो के पद पर भर्ती हुए थे। इन दिनों वे गाजियाबाद में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात थे।
दुर्घटना में बलिया जिले का संजीव भी शहीद हो गए। संजीव आइटीबीपी में सिपाही थे। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े संजीव की अभी शादी नहीं हुई थी। जवान बेटे की मौत की खबर सुनकर मां आशा देवी बेहोश हो गई। संजीव के पिता ने कहा, 'उसने कहा था, पापा मैं जा रहा हूं आपदा में फंसे लोगों की मदद करने, लेकिन हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़ गया।'
अमेठी जिले के पूरे नंदू जगदीशपुर निवासी अखिलेश सिंह की मौत की खबर पर पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। अखिलेश 1996 में वायुसेना में भर्ती हुए थे और फिलहाल कोलकाता के बैरकपुर हवाई अड्डे पर बतौर फ्लाइट इंजीनियर कार्यरत थे। दुर्घटना वाले दिन अखिलेश ने अपने पिता विक्रमजीत से फोन पर कहा था कि 17 साल की नौकरी में पहली बार कोई अच्छा काम करने का मौका मिला है।
संतकबीर नगर जिले के असरफाबाद निवासी वायुसेना के जवान सुधाकर यादव के परिवार को सही सूचना नहीं प्राप्त हो पा रही है। भाई दिवाकर यादव ने बताया कि दुर्घटना के दिन केवल इतना बताया गया कि अभी शव बरामद नहीं हुआ है। बाद में कहा गया कि बुधवार शाम चार बजे तक शव भेजा जाएगा। दोपहर बाद हुई बातचीत में बताया गया कि मौसम को देखते हुए अपराह्न एक बजे से सहायता कार्य शुरू किया गया है।
दुर्घटना में झांसी के हैवतपुरा निवासी सर्वेश भी शहीद हो गए। पुलिस की नौकरी करने वाले पिता के मुताबिक सर्वेश का चयन 2007 में आइटीबीपी में हुआ था। शुरूआती दौर में वह लद्दाख में तैनात रहा। वर्तमान में वह देहरादून में तैनात था, जहां वह लोगों की जान बचाते हुए शहीद हो गया।
कोडरमा का लाल भी शहीद
कोडरमा, जागरण संवाददाता। उत्तराखंड में आपदा पीड़ितों को बचाने के अभियान में मंगलवार को हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में कोडरमा जिले के सतगांवा के लाल संतोष कुमार भी शहीद हो गए। आइटीबीपी के जवान संतोष सतगावां प्रखंड अंतर्गत ग्राम भखरा निवासी देवनारायण पासवान के पुत्र थे। शहीद होने की सूचना आइटीबीपी मुख्यालय ने जिले के डीसी को दी। 24 वर्षीय संतोष की पिछले वर्ष ही शादी हुई थी।
मंगलवार की शाम घटना की सूचना संतोष के साथियों ने उसके परिजनों को मोबाइल पर दी थी। इसके बाद से भखरा गांव में शोक का माहौल व्याप्त है। शहीद के परिवार में उनके माता-पिता के अलावा तीन भाई और दो बहनें हैं। पिता देवनारायण ने बताया कि सोमवार की शाम उससे आखिरी बार फोन पर बातचीत हुई थी। तब उसने अपनी सलामती की बात कही थी। उन्होंने कहा कि उन्हें पुत्र खोने का दुख तो है, लेकिन इस बात का गर्व भी है कि उनके बेटे ने कर्तव्य के पथ पर चलकर देश के लिए अपना प्राण न्योछावर किया है। उनका शव पैतृक आवास भेजे जाने के संबंध में भारतीय वायुसेना की ओर से कोई आधिकारिक सूचना अभी तक नहीं दी गई है।
------------
फोटो 23 जून की है। जब एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर सतीश कुमार (बाएं, लाल घेरे में) और कांस्टेबल अहीर राव गणेश (दाएं, लाल घेरे में) केदारनाथ में फंसे लोगों की मदद के लिए साथियों संग पहुंचे थे। दोनों मंगलवार को गौरीकुंड में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।