बचाने वालों ने जान गंवाई
उत्तराखंड में दैवीय आपदा के बाद राहत कार्य में लगा भारतीय वायुसेना का एमआइ 17 हेलीकॉप्टर मंगलवार अपराह्न दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना में वायुसेना और अर्धसैनिक बलों के 20 लोगों के मारे जाने की आशंका है।
रुद्रप्रयाग, जागरण न्यूज नेटवर्क। उत्तराखंड में दैवीय आपदा के बाद राहत कार्य में लगा भारतीय वायुसेना का एमआइ 17 हेलीकॉप्टर मंगलवार अपराह्न दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना में वायुसेना और अर्धसैनिक बलों के 20 लोगों के मारे जाने की आशंका है। गौरीकुंड के नजदीक हुई इस दुर्घटना के शिकार हुए नौ लोगों के शव मिल गए हैं, शेष की तलाश का काम जारी है। अंधेरा हो जाने के कारण जंगली पहाड़ी इलाके में दुर्घटना के शिकार लोगों और हेलीकॉप्टर के मलबे की तलाश का कार्य बुधवार को भी जारी रहेगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घटना पर शोक व्यक्त किया है। वायुसेना अध्यक्ष एनएके ब्राउन बुधवार को उत्तराखंड जाएंगे।
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..तो क्या इसलिए उत्तराखंड में हुई तबाही?
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दुर्घटनाग्रस्त हुआ एमआइ 17 वी 5 हेलीकॉप्टर अत्यंत उच्च गुणवत्ता वाला था और इसे गत वर्ष ही रूस से खरीदकर वायुसेना में शामिल किया गया था। यह 80 हेलीकॉप्टर खरीद के सौदे का हिस्सा था। इस हेलीकॉप्टर से युद्धस्थल पर भारी वाहनों और उपकरणों को भी ले जाया जा सकता है। उत्तराखंड में बड़ी संख्या में लोगों के फंसे होने की वजह से इसकी सेवाएं ली गई। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एम शशिधर रेड्डी के अनुसार हेलीकॉप्टर में वायुसेना के चालक दल व अन्य कर्मियों के साथ आइटीबीपी और एनडीआरएफ के जवान भी थे। यह हेलीकॉप्टर राहत सामग्री और अंतिम संस्कार का सामान लेकर गौचर से केदारनाथ के लिए उड़ा था। केदारनाथ से वापसी के दौरान यह गौरीकुंड के तोशी गांव के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त हो गया। नई दिल्ली में वायुसेना के प्रवक्ता के अनुसार दुर्घटना के शिकार लोगों में वायुसेना के चार अधिकारी समेत पांच कर्मी शामिल हैं। मृतकों में एक विंग कमांडर, दो फ्लाइंग लेफ्टिनेंट, एक जूनियर वारंट ऑफीसर और एक सार्जेट हैं। दुर्घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे वायुसेना के गरुड़ कमांडो ने इन शवों को निकाला।
गौचर हवाई पंट्टी पर मौजूद वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर का मंगलवार को केदारनाथ का यह तीसरा चक्कर था। दुर्घटना की बड़ी वजह इलाके में वर्षा और धुंध हो सकती है। दुर्घटना का शिकार हुआ हेलीकॉप्टर पूर्वी कमान के पश्चिम बंगाल स्थित बैरकपुर वायुसेना अड्डे पर मूल रूप से तैनात था। वायुसेना ने दुर्घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। राहत कार्य के दौरान हुई यह दूसरी हवाई दुर्घटना है। रविवार को एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर गौरीकुंड के नजदीक दुर्घटना का शिकार हो गया था। उसमें उसका पायलट घायल हो गया था।
शहीद वायुसेना कर्मियों की सूची
1. विंग कमांडर डेरेल केस्टेलीनो
2. फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रवीण
3. फ्लाइट लेफ्टिनेंट पी कपूर
4. जूनियर वारंट ऑफीसर एके सिंह
5. सार्जेट सुधाकर
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बहुगुणा ने दिए दस लाख तो मोदी ने पांच
देहरादून। उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गौरीकुंड के समीप वायुसेना के हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से शहीद हुए जवानों के प्रति गहरा दुख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने इस दुर्घटना में शहीद प्रत्येक जवान के परिजनों को राज्य सरकार की ओर से 10-10 लाख रुपये सहायता राशि देने की घोषणा की है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मृतक आश्रितों के लिए पांच-पांच लाख रुपये की सहायता का एलान किया है।
उजागर हुई तालमेल की कमी
देहरादून। आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में आपदा राहत व आपदा बचाव कार्यो को लेकर शुरुआती दौर में केंद्र व प्रदेश के बीच आपसी तालमेल की कमी को गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे खुले तौर पर स्वीकार कर चुके हैं। अब राहत कार्यो में जुटी एजेंसियों के बीच भी तालमेल का अभाव नजर आ रहा है। दरअसल, केदारनाथ घाटी में दुर्घटनाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर में मारे गए लोगों के आंकड़े को लेकर अब अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं। वायुसेना जहां मृतकों का आंकड़ा आठ बता रही है तो एनडीआरएफ का दावा है कि इसमें सवार सभी 19 लोगों की मौत हो गई है।
सेवा के मोर्चे पर शहीद हुआ उप्र का लाल
संत कबीर नगर। उत्तराखंड में दैवीय आपदा में प्रभावित लोगों की सहायता में जुटे संत कबीर नगर जिले के असरफाबाद निवासी वायुसेना में सार्जेट सुधाकर यादव मंगलवार को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हो गए। इसकी जानकारी होते ही गांव में कोहराम मच गया है। दो भाइयों में सुधाकर सबसे बड़े थे, जबकि छोटे भाई दिवाकर यादव पीएसी में हैं। पिता महानंद यादव भैसहिया ग्राम स्थित जूनियर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। वर्तमान में सुधाकर की पोस्टिंग बैरकपुर (पश्चिम बंगाल) में थी। वह राहत ड्यूटी में केदारनाथ गए हुए थे। उनके पत्नी व दो बच्चे तैनाती स्थल कोलकाता में रहते हैं। सुधाकर की हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत की सूचना गांव वालों को देर शाम मिली। इसके बाद शहीद सुधाकर के घर पर भीड़ जुट गई।
अहम भूमिका निभा रहा था एमआइ-17
देहरादून, [अमित ठाकुर]। उत्तराखंड के दैवीय आपदा ग्रसित जिलों में राहत-बचाव कार्यो में जुटा भारतीय वायुसेना का एमआइ-17 हेलीकॉप्टर एक खास किस्म का विमान है। देश-दुनिया में इस हेलीकॉप्टर को असाधारण परिस्थितियों में राहत-बचाव कार्य के लिए ख्याति हासिल है। जरूरत पड़ने पर यह जंगी जहाज के तौर पर भी काम कर सकता है।
-सोवियत यूनियन द्वारा निर्मित एमआइ-17 मूल रूप से एक मालवाहक हेलीकॅाप्टर है। इसने 1975 में पहली उड़ान भरी। 1977 में यह एमआइ-8 एमटी के नाम से रूस की सेना में शामिल हुआ। अन्य देशों में इसे एमआइ-17 के नाम से जाना जाता है।
-एमआइ-17 दुनिया के तमाम देशों में बड़े ऑपरेशनों का हिस्सा रहा है। श्रीलंका और लीबिया से लेकर मलेशिया में यह अपनी क्षमता का लोहा मनवा चुका है।
-भारत में 1999 में करगिल में इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया। एमआइ-17 की खूबियों को देखते हुए उत्तराखंड के आपदा पीड़ित इलाकों में 19 जून से भारतीय वायुसेना ने इन हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल शुरू किया।
-एक बार में लगभग 25 लोगों को ले जाने की क्षमता के कारण एमआइ-17 उत्तराखंड में खासा असरदार साबित हुआ है। करीब 15 ऐसे हेलीकॉप्टर राहत-बचाव कार्यो में जुटे हैं और इनके जरिये सैकड़ों लोगों को भारतीय वायुसेना सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा चुकी है।
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